अड़हा बईद प्राण घातका
मैं कभू कभू सोचथौं के ये ब्लॉग माँ बाकी मन अपन संदेश ला कतेक सुग्घर संवार के मडाथें ओइसने मोर संग काबर नई बने। ओ दिन शरद भाई के ब्लॉग माँ जाके हिन्दी माँ कुछ अपन मन के बात ला लिखिहौं कहिके सोचेवं त उटपुटांग छप गे। अरे मोर ब्लोगिस्ट संगवारी मन ला बिनती करत हौं एखर कैसे ढंग ले संपादन करथें तेला इही भाखा माँ समझा देतेव कहिके। नई त अड़हा डाक्टर बरोबर कारोबार हो जाही। काखरो कविता के, लेख के बारे माँ अपन बिचार ला कैसे टिपण्णी के खंड माँ हिन्दी माँ लिखे जाथे ओही ला चिटीकुन समझा देतेव।
2 टिप्पणियां:
पुछ ना गा, काला-काला पुछना हे ता-हमन काबर हवन- अउ ये दे मा तोर मों.न. shilpkarr@gamail.com 9425514570 इ मेल कर, तहां ले सब हो जाही कांही संसो के बात नैइ ए- जोहार ले
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ललित जी ने तो नम्बर भी दे दिया है।
बी एस पाबला
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