खेल के मैदान होवे चाहे होवे राजनीत। उतरे के बाद मैदान माँ हो जाथे तोर ले प्रीत
अभी अभी होए रहिस इहाँ उपचुनाव। १५ झन मनखे मन लगाये रहिन अपन दाँव
लेकिन देवत रहिन दुए झन अपन अपन मेछा माँ ताव
एक झन हा कहत हे हे ईश्वर जाग। ले दे के चांस मिले हे जगा दे मोर भाग
दूसर हा कहत हे मैं तो अतके जानथौं। तय हस निराकार येला मैं मानथौं
उतरे हौं मैदान माँ तबले रेगुलर करथौं मैं भजन तोर।
लगाबे नैया पार, मत देबे तय नरवा माँ मोला चिभोर।
वो तारीख रहै सात होगे इंखर किस्मत हा इ. व्ही. एम्. माँ बंद।
ओ दिन ले शुरू होगे इंखर मन माँ अंतर्द्वंद।
अगोरत अगोरत होगे दस तारीख के बिहन्हा।
नेता जनता दुनो पहुचगे पालीटेक्निक कालेज
जाने बर चुनाव रिजल्ट, हलावत अपन कनिहा।
निराकार के जीत होईस हार गे साकार।
अरे दुनो माँ त तही हस तोर लीला हे अपरम्पार।
अउ जम्मो छत्तीसगढिया मन ला मोर जय जोहार।
2 टिप्पणियां:
निराकार के जीत होईस हार गे साकार।
बने सुग्घर गोठ केहे ह्स सरकार,
तोर होवे जय-जय कार
भैया पहिले काबर नही बताये रहेस अतेक सुन्दर भजन लिखे हे । अब ये भजन के का जरूरत भजन भैया त चुनव जेत गे हे । जय छत्तीसगढ
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