भाग - २
मैं सबले पहिली मोर ब्लॉग के अउ बिन ब्लॉग के घलो जम्मो संगवारी मन ला जयरामजी की कहत हौं. भाग्ग-२ के संपादन बर अब्बड अगोरवायेवं तेखर खातिर माफ़ी चाहत हौं. तौ टेशन ले पहुचेवं सम्मलेन के जघा माँ. सम्मलेन हा युवक युवती परिचय सम्मलेन रहिसे. अइसन सम्मलेन माँ अपन अपन जोड़ा जोड़ी खोजे माँ सहूलियत रथे. अरे बिहाव नई करैं त का होगे दाई ददा मन ला पता तो चल जाथे के काखर टूरी अउ काखर टूरा बिहाव के लाइक हो गे हे. देखत हौं लाव लश्कर के संग अइसन गाड़ी(चमचमावत कार) ले जेखर मुड़ी माँ लाल लाईट लगे हे ओमा ले बढ़िया जग जग ले उज्जर सफेद कपडा (पजामा अउ आधा बाँही के कुरता) पहिने एक झन मनखे उतरिस. ओखर संग माँ लंगुरवा घलो रहिसे. अब बताये के जरूरत नई ये. तभो ले बता देथवं. ओ मनखे रहिसे बेलासपुर के रहैया अउ आज जउन अपन राज के खजाना मंत्री हे भाई अमर अग्रवाल. संग माँ ओखर बेलासपुर शहर के देख रेख करैया वैसे ओला शहर के प्रथम नागरिक माने जाथे महापौर जी भी रहिन अउ फेर मंत्री महोदय के चेला चपाटी. अब सम्मलेन के स्वागत दुआरी ले ओला परघावत हमर समाज के नगर अध्यक्ष अउ बड़े बड़े कार्यकर्ता मन मंच तक लेजिन. ये दारी बने बेवस्था करे रहिन हमर समाज के करता धरता मन. ओतकेच जुअर महू दुआरी माँ पहुँच गेवं. ऐसे लागिस महू तर गेंव. मोरो ऊपर फूल गिरिस तिलक घलो लगाइन दुआरी माँ खड़े नोनी मन. मंत्री जी मेरन समय के कमी रहिसे. कइसनो कर के मंच माँ बैठारे गइस. हमर समाज के राष्ट्रीय स्तर के अउ प्रदेश स्तर के बड़े बड़े पदाधिकारी मन घलो मंच माँ मंत्री मन के संग माँ बइठिन. मैं अपन एक जघा माँ कोंटिया गे रेहेंव. अब शुरू होईस मंच माँ बैठे मंत्रीजी समेत जम्मो झन ला पुष्पहार से स्वागत करेके पारी. झन पूछौ भैया हो. मंत्री के स्वागत करैया कोरी खैरखा के मात्रा माँ जी. करीब पौन घंटा ओही माँ बीत गे. फेर समाज के करता धरता के स्वागत करे माँ अलग. हड़बड़ी माँ अपन गोत्र ऋषि कश्यप जी के पूजा ला घलो भुला गे रहिन. सुरता आये के बाद ओखर फोटो माँ दिया ला जलाइन. कोनो समाज होए अपन समाज के एक ठन बने भवन के बेवस्था करथे. ओखर बर एडी चोटी एक करे ला परथे. एक तो अतेक दानवीर नई रहैं जउन अकेल्लेच बनवा दै. फेर आज के तारीख माँ जमीन खोजे नई मिलत हे. अउ मिलतो हे त भाव आगी लगे बरोबर हे. तौ अइसने बेरा माँ थोकिन कंत्री बन के नजूल उजूल के भुइंया मिल जाय कहिके मंत्री जी के सुरता करथन. वैसे तो जाने बात ए के कंत्री कोन आय. अतके माँ काम नई चलै. बने भीड़ जोरे ल परथे त मंत्री जी पतियाथे के हाँ भविष्य माँ मोर बोट (वोट) के एक बहुत बड़े हिस्सा इंखर मेरन हवै.
तौ सबो झन (महिला सभा अउ तरुण सभा दुनो के बड़े बड़े पदाधिकारी मन ) अपन अपन गोठ बात रखिन. फेर मंत्री जी भी हां शुभ कामना के अपन दू शब्द कहिके ये परिचय सम्मलेन के महत्व बताइन अउ भरोसा दइन के हमर समाज के भवन जउन अभी भूतल भर माँ बने हे ओला दुमंजला बनाये बर सहयोग मिलही सरकार ले.
मंत्री जी के बिदा होए के बाद समाज के सब बिहाव के लाइक नोनी बाबु के परिचय के सिलसिला शुरू होईस. संगे संग उनखर पंजीयन घलो. चाय नास्ता भोजन सबो के बेवस्था रहिसे. अरे हाँ एक ठन जउन बने बात अउ होईस ओ आये हमर समाज के हिंदी साहित्य के नामी शख्सियत स्वर्गीय प्यारेलाल जी गुप्त (जन्म १७ अगस्त १८९१ अउ निर्वाण १४ मार्च १९७६) जेखर द्वारा किताब लिखे गे हे; "प्राचीन छत्तीसगढ़(इतिहास ग्रन्थ) सुखी कुटुंब (उपन्यास) सरस्वती (मराठी से अनुदित) लबंगलता (उपन्यास) फ्रांस की राजक्रान्ति का इतिहास, ग्रीस का इतिहास, बिलासपुर वैभव (हिंदी गजेटियर) पुष्पहार (कहानी संग्रह) एक दिन (नाटक)" के स्मरण माँ जारी त्रैमासिक पत्रिका "पाठ" के विमोचन माननीय मंत्री जी द्वारा करे गइस. मैं खुद नई जानत रहेंव. ओ दिन जानेंव. बने लागिस. महू करीब सांझ के साढ़े पांच छै बजे तक रहेंव फेर अपन भेलाई बर ओही रेलगाड़ी माँ (आये के बेरा पसिंजर) माँ आयेवं अउ करीब ११ बजे रात के घर पहुचेंव. लिखे बर तो अब्बड अकन ले चीज हे जी फेर जादा माँ आदमी बोरिया जाथे कहिके इहें समापन करत हौं.
जय जोहार.
2 टिप्पणियां:
Right
वा !! प्यारेलाल जी गुप्त ला नहीं जानथस फेर छत्तीसगढ़ में रहे के का फायदा .. अब जान डारे हस त ओकर साहित्य ला खोज के पढ़ना हे।
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