रेल मंत्राणी "ममता दीदी" सदन में
कर रहीं थीं रेल बजट वाचन
मेजें थपथपा रहा था सत्ता पक्ष
उदर-व्याधि से पीड़ित विपक्ष की
होने लगी थी कमजोर शक्ति-पाचन
उगलने लगे थे, यह रेल बजट "आम"
न होकर बंगाल चुनाव-ए-ख़ास है
होली से पहले दफ़न हो गई
बाकी जनता की सारी आस है
कहते हैं माता कुमाता नहीं होती
हो सकता है पूत भले कपूत
पर यहाँ तो उल्टा ही दीखता है,
छला जाता है छत्तीसगढ़
होके बड़ा कमाऊ पूत (राजस्व उगाही में)
वजह है इसकी, छत्तीसगढ़ समझा न गया "पूत" कभी
समझे घर की सीधी सादी लुगाई है
सीधी सादी लुगाई ही
होती सबकी सगी भौजाई है.
4 टिप्पणियां:
होली की शुभकामनाए.nice
होली की हार्दिक शुभकामनांए.
अच्छा व्यंग है होली माफिक।होली की हार्दिक शुभकामनांए
बहुत ही सटीक व्यन्ग है
होली की बहुत बहुत शुभकामनाये
आपको भी और हमारी भौजाई को भी
बच्चो को प्यार.
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