साल था सन दो हजार छै या सात
आरम्भ किया था हम दोनों ने (मैं और मेरी पत्नी)
अंतरजाल की दुनिया को समझके
धीरे से इसमें फंसना
बच्चों का रोल मेन था इसमें
हमें मृत देह की संज्ञा देते हुए;
जैसा कि प्रचलन में है
माँ को मम्मी (mumy का मम्मी )
और पिता को पापा कहना (वैसे श्रीमद भगवत गीता के अनुसार सभी मरे हुए ही तो हैं)
कहने लगे, अंतरजाल के सहारे
सात समंदर पार रहने वाले लोगों से भी
मित्रता करना सहज है,
सो बना लें अनेको मित्र यहाँ
सुख दुःख परस्पर बांटना
हँसाना उन्हें, और स्वयं तुम हँसना
सिखा दी इन बच्चों ने तकनीक
खुलवा दिया गूगल खाता
बनवा दिया मेम्बर ऑरकुट का
जिसकी वजह से हमको पी सी(कंप्यूटर)
कभी न छोड़ना भाता (चिपके रहते थे कंप्यूटर के पास)
बना डाले अनेकों मित्र
लगे बांटने सुख दुःख हरदम
करने लगे स्क्रैप वार्ता, प्रायः
सरल सीधा सादा, और कभी कभी चित्र विचित्र
(२)
मित्र समूह बिच पाया , ब्लॉग जगत के रत्न
मिली प्रेरणा लेखन का, करने लग गए हम भी यत्न
प्रेरणा मिली है जिनसे, देखें पोस्ट क्रमांक उनचास
संजीव, ललित अरु पाबला अरु भाई शरद कोकास
टिपण्णी के माध्यम से हमें, या बन ब्लॉग के सब अनुयायी (अनुसरणकरता)
करते रहे हरदम हमारा बढ़ चढ़ के हौसला अफ़जाई
अचानक मैं, चूंकि छत्तीसगढ़ प्रान्त के बिलासपुर जिले की मुंगेली तहसील का रहने वाला हूँ, मुंगेरीलाल के हसीन सपने की तरह स्वप्न जगत में खो गया हूँ. उड़न तश्तरी में बैठकर धान के देश की सैर कर रहा हूँ. जिन्दगी के मेले में घुस गया हूँ, खो गया हूँ. पता नहीं दिमाग काम नहीं कर रहा है. सोचा यहाँ तो राजतंत्र लिखा हुआ है जरूर कुछ तंत्र मन्त्र की साधना चलती होगी यहाँ यदि बाहरी हवा लगी होगी तो बाबा ठीक कर देंगे . पर ऐसा कुछ भी नहीं था. कुछ सूझ नहीं रहा था झुग्गी झोपडी में रहने वालों के मोहल्ले में पहुँच गया, एक बोर्ड टंगा हुआ है अमीर धरती गरीब लोग.
क्या किया जाय प्राकृतिक संपदा से भरपूर इस धान के देश में जनता जनार्दन से लेकर नेत्रित्वकर्ता द्वारा शहीदों के बलिदान से प्राप्त स्वतंत्रता का उपयोग इसका पर्याय "स्वच्छंदता" का पालन कर किया जा रहा है नियम कानून केवल तोड़ने के लिए बने हैं तभी तो इस अमीर धरती में गरीब लोग रहने लगे हैं. पता नहीं मैं कहाँ कहाँ सैर कर आया. सभी स्थानों को याद नहीं कर पा रहा हूँ. तन्द्रा टूट गयी है. अपने आप को पाता हूँ ब्लॉग जगत में. ब्लॉग जगत के मेरे सभी अनुसरणकर्ताओं का भी मैं तहे दिल से आभारी हूँ. मेरे सभी ब्लॉगर मित्रों को जिन्होंने मेरे ब्लॉग को झाँका और टिपण्णी के माध्यम से हौसला बढाया, उन सभी का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ वंदन करता हूँ और नमन करता हूँ. आप सभी के आशीर्वाद से ही १०० वां पोस्ट लिख़ा पाया भले ही धीमी गति से क्यों न हो. आगे भी आशा करता हूँ आप सभी का सानिध्य बना रहेगा.
जय जोहार......
5 टिप्पणियां:
100 पोस्ट होने की बधाई..ऐसे ही शतक मारते रहें..अनेक शुभकामनाएँ.
बहुत बहुत बधाई ! अनन्त शुभकामनाएं ।
100 पोस्ट होने की बधाई..अनन्त शुभकामनाएं ।
badhai ho sirji....
शतक की शुभकामनाएँ
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