बस खेद प्रकट कर कर लेते हैं इतिश्री
सारा मीडिया पता कर लेता है ठौर ठिकाना
विज्ञान औ तकनालोजी का परचम लहराने के बावजूद ,
समझ नहीं आ रही है बात,
ख़ुफ़िया तंत्र का, हमलों के अंदेशों
के बारे में पता न कर पाना
जिससे मारे जाते हैं जाबांज सिपाही बेचारे.
टुकड़ों टुकड़ों में बँटे हुए ये दुनिया भर के "वादी'
सिद्धांत को ताक में रख तुले हुए हैं,
देश में फ़ैलाने को बर्बादी
कहते हैं भगवान आपके यहाँ देर है
अंधेर नहीं, पर देख के यह दृश्य
लगता है सुकून है कहीं नहीं
प्रभु अब और देर न कीजिये
हत्यारों के दिल औ दिमाग में बस
इतना भर दीजिये कि कत्ले आम ही
नहीं है समस्या का समाधान
प्रगति के सोपानों की ओर बढकर
कायम रखें अमन चैन
और मिटने न दें अपने वतन की शान
शहीदों को शत शत नमन व उनकी आत्मा की शांति
और उनके परिवारों को ईश्वर इस जघन्य
घटना से उन पर टूटे दुःख के पहाड़ से उबरने की
शक्ति दे, यह प्रार्थना प्रभु से करते हुएजय जोहार ............
5 टिप्पणियां:
बहुत दुखद रहा!
बहुत दुखद रहा!
bilkul sahe
he
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
बस अफ़सोस ही कर सकते हैं गुप्ता जी,और हमारे बस मे है ही क्या?जिनके बस मे है उन्हे बयानबाज़ी से फ़ुरसत नही है।
shaheedon ko shraddhnjali...hriday sparshi rachna....
bahut hi dukhad ghatna he gupta ji.
sarkar han munh far ke dekht he.
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