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रविवार, 11 जुलाई 2010

खरीदारी में टाइम फेक्टर

भाई, अपन सब  मानव हैं। मोस्टली सबका होता घर है परिवार है। और जहां परिवार है, स्वाभाविक है रविवार को परिवार के साथ जाना बाजार है। हम तो अक्सर बाजार जाते हैं पर घूमने फिरने के लिये नही। मियाँ बीबी दोनो हैं नौकरी मे। और टाइम मिलता नही। दैनिक उपयोग मे आने वाले राशन से लेकर अन्य आवश्यक चीजों की वीकली परचेज़िंग मे हम मियाँ बीबी दोनो ही निकलते हैं। अभी तो घर के जीर्णोद्धार मे व्यस्त हैं और एक एक चीज बटोरने मे त्रस्त हैं। हम खरीदने तो जाते हैं कई दुकान।  भाव ताव करने के बाद खरीदी कर पाते हैं कि नहीं या क्या रहता है मिजाज इसके बारे मे टाइम फेक्टर को लेकर कुछ विचार उमड़ा है; प्रस्तुत है एक नमूना:-
(१)
निकलते थे बाज़ार 
(सन्डे ओपन मार्केट) 
हर  सन्डे  गृह निर्माण के लिए 
जरूरी सामान के भावों का करने कम्पेरिज़न 
शुरू होती  थी यात्रा सुबह १० बजे से 
घर वापसी को बज जाते थे  चार. 
(२)
एक बुधवार को पड़ा गवर्नमेंट होलीडे 
घुस गए सेनेटरी आईटम  की  दुकान में,
समय  वही सुबह १० बजे का
थमा दिया प्लम्बर का दिया हुआ लिस्ट 
बोले दिखाओ सामान और  रेट लिस्ट 
बाज़ार में प्रचलित प्रथा और ग्राहक की व्यथा को 
ध्यान में रखते हुए शुरू हुआ मोल भाव 
बज गए थे इतने में दोपहर के   बारा 
हमने सोचा बहुत हो गया, अब थक चुके हैं
लेंगे अब यहीं से सामान कर देते हैं वारा न्यारा 
(३)
अब बाकी है फाइनल टच, जो लेता है थोड़ा वक्त 
काम बाकी है,  फर्नीचर से लेकर  
खिड़की दरवाजे की फिटिंग  तक कमबख्त 
सो आज भी निकल पड़े थे मार्किट,
 समय था तकरीबन ग्यारह साढ़े ग्यारह बजे  पूर्वान्ह का   
दुकान  दर दुकान पता कर रहे थे रेडीमेड दरवाजे का भाव 
दरवाजे के भाव पता करने में बज  गए थे अपरान्ह के ढाई 
दुकान वाले को बोला आपका  रेट है बहुत हाई 
 लौटे घर तकरीबन तीन बजे
 कहकर उसको; "सोचते  हैं भाई". 
(४)
सायं साढ़े छः  बजे शुरू हुआ मार्केटिंग का  दूसरा दौर 
पता  किये  कई दुकानों के ठौर
एक  दुकान में लगा भाव  कुछ ठीक ठाक 
तब तक बज गए थे रात के दस 
दुकान वाले को बोले दे दो अपना 
कान्टेक्ट नम्बर कल बताएँगे फाइनल
अभी तो करते हैं यहीं पर  'बस' 
जय जोहार...... 

4 टिप्‍पणियां:

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

कल बताएँगे फाइनल
अभी तो करते हैं यहीं पर 'बस'


यही है राईट
मिलते हैं कल 'बस'

शिवम् मिश्रा ने कहा…

मान गए साहब आपको ............खरीदारी की खरीदारी और कविता की कविता .......क्या कहने !!
जय जोहार....

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

बढिया है.

Udan Tashtari ने कहा…

कल पता करेंगे अब..जय जोहार!