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शुक्रवार, 8 जुलाई 2016

रेंग दिस बदरा

रेंग दिस बदरा
आस ला जगा के अउ प्यास ल बढ़ा के घलो
रेंग दिस बदरा ह ठेंगा ला देखा के गा।
सबो मुँहबाये खड़े धोखा खाके चित्त पड़े
चरित्तर बदरा के नेता कस लागे गा।।
नरवा अउ नदिया ला पाटत पटावत हें
झाड़ी झँखरा रुख राई तको हा कटागे गा।
बिनती हे "सूरज" के बचाये बर रुख राई
भरसक उदिम करे के दिन आगे गा।।
जय जोहार
सूर्यकांत गुप्ता
सिंधिया नगर दुर्ग (छ.ग.)

परियावरन बचाव

परियावरन बचाव
चीरत हौ का समझ के, मोरद्ध्वज के पूत।
काटे पेड़ जियाय बर, नइ आवय प्रभु दूत।।
रूख राइ काटौ मती, सोचौ पेड़ लगाय।
बिना पेड़ के जान लौ, जिनगी हे असहाय।।
बिन जंगल के हे मरें, पशु पक्षी तैं जान।
बाग बगइचा के बिना, होही मरे बिहान।।
आनन फानन मा सबो, कानन उजड़त जात।
करनी कुदरत ला तुँहर, एको नई सुहात।।
पीये बर पानी नही, कइसे फसल उगाँय।
बाढ़े गरमी घाम मा, मूड़ी कहाँ लुकाँय।।
जँउहर तीपन घाम के, परबत बरफ ढहाय।
परलय ओ केदार के, कउने सकय भुलाय।।
एती बर बाढ़त हवै, उद्यम अउ उद्योग।
धुँगिया धुर्रा मा घिरे, अनवासत हन रोग।।
खलिहावौ झन देस ला, जंगल झाड़ी काट।
सरग सही धरती हमर, परदूसन मत पाट।।
करौ परन तुम आज ले, रोजे पेड़ लगाव।
बिनती "सूरज" के हवै, परियावरन बचाव।।
जय जोहार.......
सूर्यकांत गुप्ता
1009, "लता प्रकाश"
सिंधिया नगर दुर्ग (छ. ग.)

माटी के मितान

माटी के मितान
माटी के मितान कथें तोला जी किसान रहै नाँगर धियान देख बरसात आगै जी।
खेत के जोतान संग धान के बोवान जँहा माते हे किसान देख मन हरसागै जी।।
मनखे ल जान होथें स्वारथ के खान कथें तोला भगवान साध मतलब भागैं जी।
परै न जियान जब होवस हलकान तँह देथस परान सोच करजा लदागै जी।।
जय जोहार....
सूर्यकांत गुप्ता
सिंधिया नगर दुर्ग (छ. ग.)