आईए मन की गति से उमड़त-घुमड़ते विचारों के दांव-पेंचों की इस नई दुनिया मे आपका स्वागत है-कृपया टिप्पणी करना ना भुलें-आपकी टिप्पणी से हमारा उत्साह बढता है

शनिवार, 31 दिसंबर 2011

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

नव  वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
(१) 
नए साल की सुबह को बाकी रह गए कितने दिन.
प्रहर,  घड़ी, कला, विकला, क्षण क्षण क्षण को गिन.
 (२)
जश्न- जोश मदहोश करे, आओ झूमें नाचें गायें  
तजि बैर-भाव अरु दुर्गुण अपने, खुशियाँ बांटते जायें
 (३)
करनी ऐसी कर चलें होवे सारा जग खुशहाल 
सौगातों की पोटली, लिए द्वार खड़ा नया साल
(४) 
भ्रष्टाचार भय भूख से जन को मिलेगा कब छुटकारा
"केंसर" से घातक बन चुका जानत यह जग सारा
(५)
हो देर मगर अंधेर नहीं, जुट जाए सारी जनता 
"कोउ नृप होय हमै का हानि"  से काम नहीं है बनता 
(६)
नव-वर्ष की उषा-किरण,  कर दे सबको उर्जावान 
खुशियाँ हो घर- घर इस जग में,   बिनती है भगवान
आप सभी को चंद घंटों में आने वाले  नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं  
जय जोहार........

शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

यायावर की वापसी

 
                                                                 




                                                              गाड़ी थी पोरबंदर हावड़ा

शनिवार, 17 दिसंबर 2011

नहीं कहेंगे, "चाचू पसीने क्यों आ रहे हैं"


हुए  ब्लॉग लेखन से दूर,
पखवाड़ा क्या,  बीत गया महीना
जारी है शीत लहर, 
लिखने में क्यों आ रहा है पसीना
नहीं कहेंगे, "चाचू पसीने क्यों आ रहे हैं"
न ही सुनेंगे "ये अन्दर की बात है"
फिर से यहाँ आने का बना  जरिया 
नागपुर रेलवे स्टेशन  में
ब्लॉग-जगत के यायावर से
हुई मुलाक़ात है
 मौजूद थीं आदरणीया श्रीमती संध्या शर्मा 
संग संग थे आदरणीय शर्मा श्रीमान
खासियत यही  तेरे  ब्लॉग की दुनिया
"शख्सियतों" से कराता जान पहचान
......जय जोहार!!!!

शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2011

लछमी दाई ए दारी कम से कम खच्चित आबे

लछमी दाई ए दारी कम से कम खच्चित  आबे
 हे  लछमी दाई, तोर महिमा ला सबो झन जानथे. आदमी  अपन अपन कूबत के अनुसार तोर पूजा अर्चना ला करथें. बस इही बिनती हे माँ के काखरो बर रिसाबे झन. ओइसे त पूरा भरोसा हे, चाहे गरीब के कुंदरा होय चाहे रईस के बँगला; जम्मो जघा गे होबे. दाई!  भूले भटके काखरो घर छूटिच गे होही त ए दारी कम से कम खच्चित  आबे. पूरा संसार मा जउन आज दिखत हे, खासकर तोर भक्तन  के देस भारत मा, जैसे - मार- काट, कोन पराया ये कोन अपन, तेखर चिन्हारी नई ये, कब टोंटा ल रेत के रेंग दिही भरोसा नई ये, मंहगाई अलग ये सब कराये बर उकसाथे, भ्रष्टाचार हा त आदमी के रग रग मा समा गे हे, तउन  ल दाई तंही भगा सकत हस. काली भाई दूज आय. जम्मो संगवारी ला,  अपन अपन बहिनी के हाथ ले टीका लगवा के ओ मन ला, अपन  परेम के रूप मा,  उंखर सुख दुःख मा काम आये के  वचन देवत  बने उपहार दे के तिहार, 
भाई दूज के अब्बड़ अकन बधाई....
जय जोहार......
 खच्चित आबे = जरूर आना, कुंदरा = झोपड़ी, काखरो घर छूट  गे होही = किसी का घर छूट गया हो तो, ए दारी = अबकी बार, चिन्हारी = पहचान, टोंटा ल रेत के रेंग दिही = गला काट कर भग जाएगा

गुरुवार, 27 अक्तूबर 2011

अन्न-कूट गोवर्धन पूजा की हार्दिक बधाई


            अन्न-कूट गोवर्धन पूजा
 
                    कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन उत्सव मनाया जाता है। इस दिन बलि पूजा, अन्न कूट, मार्गपाली आदि उत्सव भी सम्पन्न होते है। अन्नकूट या गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारम्भ हुई। गाय बैल आदि पशुओं को स्नान कराकर फूल माला, धूप, चन्दन आदि से उनका पूजन किया जाता है।
                     गायों का मिठाई खिलाकर उनकी आरती उतारी जाती है तथा प्रदक्षिणा की जाती है। गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर जल, मौली, रोली, चावल, फूल दही तथा तेल का दीपक जलाकर पूजा करते है तथा परिक्रमा करते हैं। कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को भगवान के निमित्त भोग व नैवेद्य में नित्य के नियमित पदार्थों के अतिरिक्त यथासामर्थ्य अन्न से बने कच्चे-पक्के भोग, फल, फूल; अनेक प्रकार के पदार्थ जिन्हें "छप्पन भोग" कहते हैं,. ‘छप्पन भोग’ बनाकर भगवान को अर्पण करने का विधान भागवत में बताया गया है.  फिर सभी सामग्री अपने परिवार, मित्रों को वितरण कर के प्रसाद ग्रहण किया जाता है ।                                                                                                              
                     इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र की पूजा को बंद करा कर इस के स्थान पर गोवर्धन की पूजा को प्रारंभ किया था और दूसरी ओर स्वयं गोवर्धनं रूप धर कर पूजा ग्रहण की इससे कुपित होकर इंददेव ने मूसलाधार जल बरसाया और श्री कुष्ण जी ने गोप और गोपियों को बचाने के लिए अपनी कनिष्ठ उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर इंद्र का मानमर्दन किया था.सब ब्रजवासी सात दिन तक गोवर्धन पर्वत की शरण मे रहें।
                    सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर एक जल की बूँद भी नही पड़ी। ब्रह्या जी ने इन्द्र को बताया कि पृथ्वी पर श्री कृष्ण ने जन्म ले लिया है, उनसे तुम्हारा वैर लेना उचित नही है। श्रीकृष्ण अवतार की बात जानकर इन्द्रदेव अपनी मुर्खता पर बहुत लज्जित हुए तथा भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा याचना की।  श्रीकृष्ण ने सातवें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखकर ब्रजवासियो से आज्ञा दी कि अब से प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट का पर्व उल्लास के साथ मनाओ। उनके स्मरण में  गोवर्धन और गौ पूजन का विधान है।
                     यूं तो आज गोवर्धन ब्रज की छोटी पहाड़ी है, किन्तु इसे गिरिराज (अर्थात पर्वतों का राजा) कहा जाता है। इसे यह महत्व या ऐसी संज्ञा इस लिये प्राप्त है क्यूंकि यह भगवान कृष्ण के समय का एक मात्र स्थाई व स्थिर अवशेष है। उस समय की यमुना नदी जहाँ समय-समय पर अपनी धारा बदलती रही है, वहां गोवर्धन अपने मूल स्थान पर ही अविचलित रुप में विद्यमान  है। इसे भगवान कृष्ण का स्वरुप और उनका प्रतीक  भी माना जाता है और इसी रुप में इसकी पूजा भी की जाती है।
                      बल्लभ सम्प्रदाय के उपास्य देव श्रीनाथ जी का प्राकट्य स्थल होने के कारण इसकी महत्ता और बढ़ जाती है। गर्ग संहिता में इसके महत्व का कथन करते हुए कहा गया है - गोवर्धन पर्वतों का राजा और हरि का प्यारा है। इसके समान पृथ्वी और स्वर्ग में कोई दूसरा तीर्थ नहीं है। यद्यपि वर्तमान काल में इसका आकार-प्रकार और प्राकृतिक सौंदर्य पूर्व की अपेक्षा क्षीण हो गया है, फिर भी इसका महत्व कदापि कम नहीं हुआ है।
                    इस दिन स्नान से पूर्व तेलाभ्यंग अवश्य करना चहिये। इससे आयु, आरोग्य की प्राप्ति होती है और दुःख दारिद्र्य का नाश होता है। इस दिन जो शुद्ध भाव से भग्वत चरण में सादर समर्पित, संतुष्ट, प्रसन्न रहता है वह वर्ष पर्यंत सुखी और समृद्ध रहता है।
                        यदि आज के दिन कोई दुखी है तो वर्ष भर दुखी रहेगा इसलिए मनुष्य को इस दिन प्रसन्न होकर इस उत्सव को सम्पूर्ण भाव से मनाना चाहिए।                                                                                                                अन्न-कूट गोवर्धन पूजा की 
सबको देता हूं बहुत  बधाई 
अन्ना-कूट इहाँ (देश में) हो रह्यो,
कर अर्पण छप्पन भोग प्रभू को 
करियो पूजा मन-मोहन (कृष्ण) की भाई 
जय जोहार.......
  

बुधवार, 26 अक्तूबर 2011

दीपोत्सव देवारी के गाड़ा गाड़ा बधाई



ॐ श्री गणेशाय नमः 
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं सुरेश्वरी 
हरिप्रिये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं दयानिधे 
 घर घर माँ जलै  देवारी के दिया  
महल भवन हो या गरीब के  कुटिया
हाथ जोड़ बिनती लक्ष्मी-नारायण के  करथन
     दीन हीन हम सब मनखे मन
ईमान के रद्दा ले कभू झन भटकन
 झन  मद-मत्सर के जंजीर माँ  जकड़न
लक्ष्मी दाई के किरपा ले भागे भ्रष्टाचार, मंहगाई
आतिश बाजी के  आनंद लेवौ,  खावौ खूब मिठाई
दीपोत्सव देवारी  के गाड़ा गाड़ा बधाई  
जय जोहार.....

मंगलवार, 25 अक्तूबर 2011

खूब नहायें लगा उबटन, नीरोगी रखें अपनी काया

खूब नहायें लगा उबटन, नीरोगी रखें अपनी काया          
माँ लक्ष्मी सदा सहाय रहें, न  उठे सर से प्रभु का साया

आश्विन कृष्ण चतुर्दशी तथा विक्रम संवत अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी नरक चतुर्दशीके नामसे जानते हैं । दीपावलीके दिनोंमें अभ्यंगस्नान करनेसे व्यक्तिको अन्य दिनोंकी तुलनामें ६ प्रतिशत सात्त्विकताका अधिक लाभ मिलता है ।
नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली) की हार्दिक शुभकामनाएं 
जय जोहार....

सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

दीपोत्सव का पर्व दिवाली रौशन घर घर करे दिया



दीपोत्सव का पर्व दिवाली 
रौशन घर  घर करे दिया 
परब आगमन के पहले ही
प्रभू  तूने कैसा  सिला दिया
जगदलपुर नक्सली कहर
(छत्तीसगढ़ अनेक जवान शहीद )
कहीं मावे में हो  मिला जहर
 (उत्तर प्रदेश शायद बारह बच्चों की मौत )
ढहा सेतु गिरी यात्री गाड़ी, क्या कुपित हुई माँ काली  
 (गुजरात पुल ढहने से २२ की मौत )
बिलासपुर का रेल हादसा बलि कितनो की दे डाली
जारी है तेरी  विनाश-लीला, हुई कंपित माँ धरती  
सहस्त्रों जान गँवा चुके, देश का नाम है तुर्की 
विनती है प्रभु आपसे, लगे अनहोनी पे विराम
दुखियारों को सहन शक्ति दे, पुकारे आम अवाम 
पञ्च दिवसीय दीपोत्सव का हुआ आज प्रारम्भ 
कर भगवान् धन्वन्तरी की पूजा  काज करें आरम्भ
सभी मित्रों को दीपोत्सव के प्रथम दिवस "धनतेरस" एवं भगवान् धन्वन्तरी जयंती के उपलक्ष में हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 
जय   जोहार .......

गुरुवार, 6 अक्तूबर 2011

विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं

विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं 
ड्यूटी से घर आते ही 
हम अख़बार पे नज़र दौड़ाये
अटकी नज़र  हेडिंग पर;
"मासूम जिंदगी पर छाये 
दशानन के  साये"
आज के बच्चों  के
दस अवगुण मात- पिता को बताये
न केवल बताये, उन्हें जिम्मेदार ठहराए 
पहला शिष्टाचार न आना 
दूजा अपनी  माँग मनवाना 
तीसरे में अनुशासन हीनता 
चौथे में गायब नैतिकता 
पंचम संस्कारों की सीख न देना 
टूटा परिवार तो फिर न कहना 
षष्टम में अड़ियल रवैया 
करवावे सबको ता ता थैया 
हदों  का उल्लंघन है  सप्तम 
  उपकरणों पर निर्भरता  अष्टम  
(केलकुलेटर, मोबाइल, कंप्यूटर, टी वी,
वीडियो गेम पर आश्रित आदि पर  होने देना )
 नवमं  स्वच्छंद आचरण 
दशमं पक्षपात का बीज अंकुरण 
इन पे गौर फरमायें, बच्चों को समझाएं, 
अंकुश इन पे लगाएं
उनका भविष्य उज्जवल बनाएं 
 पुनः आप सभी मित्रों को विजया दशमी की शुभकामनाओं सहित 
जय जोहार.....

गुरुवार, 29 सितंबर 2011

जिव्हा का हुकम है मानना चाहे बिगड़े पाचन तंत्र ॥

वात, पित्त, कफ संतुलन जब जब बिगड़ा जाय। 
तरह तरह की व्याधि देह में खूब उत्पात मचाय॥

कानून का पालन कौन करे, हैं हम आज स्वतन्त्र ।
जिव्हा का हुकम है मानना चाहे बिगड़े पाचन तंत्र ॥ 

धन दौलत की चाह संग संग मार गई मंहगाई।
भाग- दौड़ आपा-धापी  में काया की सुध है गंवाई॥

रोग ग्रसित जब होत हैं, चंहूँ  ओर  नजर दौड़ाय।
वैद्य, चिकित्सक, डॉक्टर, कौन है मर्ज भगाय॥

नाड़ी देख तकलीफ़ जो रोगी को दियो बताय।
 जानत यह तरकीब जो,  नाड़ी वैद्य कहलाय॥

औषधि से बढ़कर पथ्य अरु परहेज आवे है काम।
दवा खायें वैद्य-सलाह ले, मिले जल्द से जल्द आराम॥ 

वैद्यकीय पढ़ाई सहज नही, श्रम  "काल" "अर्थ" खर्च होय।
इम्तिहान सरोवर जो पार करे, ओपे फ़ख्र करे हर कोय॥

 विग्यान तरक्की कर रहा, होय नित नव अनुसंधान।
कोई रोग असाध्य नही,  लें जन मानस  यह जान ॥

वर्तमान चिकित्सा पद्धति,  करें जेबें सबकी खाली।
मुर्दे से भी पैसा वसूले, "सेवा- भाव" की बलि दे डाली॥

अंतिम पंक्ति इसलिये लिखी गई है कि आज प्रत्येक व्यक्ति द्रुत गति से धन संचय के फ़िराक मे लगा रहता है। यह सही है कि आज की चिकित्सकीय पढ़ाई बहुत ही खर्चीली है। यह भी एक वजह हो सकती है "सेवा भाव" धीरे धीरे खतम होने की। मां बाप ने कर्ज लेकर पढ़ाया हो, उसे छूटना है अथवा अनंत अभिलाषाओं की/चाहतों की  पूर्ति करनी  है,  पता नही। एक नर्सिंग होम मे मुर्दे को जबरन वेंटिलेशन मे रख उसके रिश्तेदार से दो दिन का "चार्ज" वसूलना किसी ने बताया था या पढ़ा था पेपर मे;  याद नही आ रहा है किंतु इसी परिपेक्ष्य मे अंतिम दोहा लिख बैठा। वैसे भी आजकल रोग  के लक्षण के आधार पर चिकित्सा कम ही देखने को मिलती है। लक्षण तो रोगी का  देखा जाता है। स्टेटस के मामले में। तमाम पेथालॉजिकल टेस्ट कराने की सलाह पहले दी जाती है। वैसे हम भी,  चाहें मरीज हों या मरीज के परिजन, जो आजकल ज्यादा ही डेढ़ होशियार हो गये हैं, इसके लिये जिम्मेदार हैं। फ़लां डॉक्टर बेकार है, सिंपल एम बी बी एस तो है, भाई हम तो अब डी0एम0 की डिग्री वाले के पास ही जायेंगे। इस साइकोलॉजी का सभी फ़ायदा उठाना चाहेंगे।  क्षमा चाहूँगा हरेक के लिए यह बात लागू नहीं होती. हो सकता है देश काल परिस्थिति के हिसाब से इस प्रकार का वातावरण बन गया हो।
जय जोहार…।

बुधवार, 28 सितंबर 2011

नवरात्रि की हार्दिक बधाई

"ॐ गं गणपतये नम:"
"ॐ श्री दुर्गायै नम"
या देवी सर्वभूतेषु शान्ति रूपेण संस्थिता, 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः 
प्रथमम शैलपुत्री च द्वितियम ब्रह्मचारिणी।
त्रितियम चंद्र्घण्टेति कूष्मांडेति चर्तुथक॥
पंचमं स्कन्दमातेति शष्ठमम  कात्यायनीति च।
सप्तमम कालरात्रीति महागौरीतिचाष्टमम॥
नवमं सिद्धिदात्रीच नवदुर्गा प्रकीर्तिता।
उक्तान्येतानि   नामानि ब्रह्मणैव  महात्मना॥
"माँ भगवती जगत   का कल्याण करे" 
सभी मित्रों को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं 
जय जोहार.....

बुधवार, 31 अगस्त 2011

ॐ श्री गणेशाय नमः 
 वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्यसमप्रभ । 
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा
"आप सभी को गणेश-चतुर्थी की बहुत बहुत शुभकामनाएं "

मंगलवार, 16 अगस्त 2011

आज के ज़माना के पढ़ई....हो जाथे करलई. आवौ पहाड़ के सुन्दरता ला निहारत जाई

पंद्रही ले जादा होगे  (पंद्रह-20 दिन पहले) बेटा  ला हिमाचल प्रदेश, जउन ला देव भूमि घलो कथें, के मंडी आई आई टी मा छोड़ के आये हन. माई पिल्ला त नई गे रेहेन. दाई दादा अउ बेटा भर गे रेहेन. नोनी(जउन  दन्त चिकित्सा संकाय के तीसरा साल मा पढ़त हे) के परीक्षा रिहिस. नई जाय पाइस बिचारी. पूरा संसार उबलत हे जी गरमी मा. हिम के आँचल ले बरफ पिघले लगे हे. हमन सोचन बने जाड़ परही कहिके. कहाँ के जाड़. उहाँ होटल म पंखा चलाये बर परे. कुछु होय पहाड़ी इलाका के कुदरती खूबसूरती के का कहना...हमू अपन केमरा मा कैद करके दू चार ठन फोटू ले आय हन....निहारौ आपो मन ....






आई आई टी मंडी

आई आई टी मंडी



व्यास नदी 
व्यास नदी 
व्यास नदी 
 बेटा सुरम्य 

व्यास नदी 
 अपन संगवारी मन संग 

 माँ  बेटा  
जय जोहार......

सोमवार, 15 अगस्त 2011

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं


स्वतंत्रता दिवस  
की  
हार्दिक शुभकामनाएं 
स्वतन्त्र भारत का स्वच्छंद नागरिक
देखता है; दिखाता है,  दुनिया को अद्भुत नज़ारे 
लहरावे परचम एवरेस्ट शिखर पर 
लक्ष्य सर्वोपरि हो देश की रक्षा 
उतरे समर में रख पाहन जिगर पर
भय भूख भ्रष्टाचार की व्याधि से कौन उबारे 
   व्याधि मिटाने की घुट्टी लिए संग,
चल पड़े हैं माननीय वैद्य अन्ना हजारे 
उम्र के आठवें दशक को कर दर किनारे 
राष्ट्र के भावी निर्माता(आज की युवा पीढ़ी)
 माँ भारती तुमको पुकारे 
सत्य व ईमान की राह पे चल वतन को अब सँवारे
जय भारत....वन्दे मातरम् .
जय जोहार.

शुक्रवार, 22 जुलाई 2011

सावन के झड़ी

सूर सूर तुलसी शशि, उरगन केशवदास।                                                                                                               अब के कवि खद्योत सम जंह तंह करत प्रकास॥                                                                                           ये  दोहा हमर जैसे अड़हा बर लिखे हे। कभू किताब कापी ल पढ़ेन नही। तोपचंद  बने के कोशिश करे लगेन । जब बने बने सुग्घर साहित्य ल देखे नई रहिबे पढ़े नई रहिबे त कायच कर लेबे। बने हे बुलाग जगत एमा थोर बहुत देखा सीखी लिखा जाथे, ओहू टेम मिलथे तब . ए दारी सावन मा बने झड़ी लगे हे। सावन के झड़ी का लगे हे एती पेट गड़बड़ा गे, उहां झड़ी लग गे। घेरी बेरी सुभीता खोली के जवई। ले दे के माड़े हे अभी। लईका ल ले के आई आई टी मा सलेक्शन होगे हे उंहा  भरती करवाये बर जाना हे।              ए मौसम हा डाक्टर मन बर तिहार बरोबर रथे। जहां देख उंहा लाईन लगे हे । कोनो ल सर्दी खांसी कोनो के पेट खराब। इही खातिर कथें खाये पिये बर सावधानी रखो ए सीजन मा। मन मा आईस ये बिचार हा त लिख पारेंव। अब सोचत हौं एखर हेडिंग का दंव। भले मिक्चर बन गे हे लिखई हा, तभो ले हेडिंग जम जहि तईसे लगथे………                                                                                                                                 जय जोहार्………………

सोमवार, 18 जुलाई 2011

क्या जाता हमारे बाप का

लौह पथ गामिनी कहलाती रेल 
जन "काल का" ग्रास बना ले गई 
हावड़ा दिल्ली "कालका" मेल 
हे ईश्वर ! है तेरा यह कैसा खेल ?
कुसूर मुसाफिर का क्या था 
भोंक दिया इन पर खंजर 
खड़े हो गए रोंगटे सबके 
देख भयावह यह मंजर 
(२)
दफ़न ना हो पायी थी लाशें,  हुए मुंबई में बम के धमाके 
कहीं खेद प्रकट, कोई आरोप जड़त,  सब अपनी अपनी हांके 
छीना सुहाग, बुझ गया चिराग, हट गया साया माँ बाप का 
मकसद हमारा "आतंक" है; मरे कोई जिए कोई 
क्या जाता हमारे बाप का 
(आतंकवादियों को जरा भी अफ़सोस नहीं होता कि मारे जाने वाले उन्ही के सगे सम्बन्धियों में से हो सकते हैं. उन्हें तो केवल पैदा करनी होती है  सबके  के दिलों में दहशत .....शायद यह "शंकर" का संहारक रूप हो ......आयें करें विनती उनसे:-  प्रभु ! "संहारक" रूप त्यागें, जगत का कल्याण करें . 
"हर हर महादेव" "बोल बम" "ॐ नमः शिवाय" 
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्  
जय जोहार ......... 

"ॐ नम: शिवाय"

"ॐ नम: शिवाय"                                                                                                                                                               श्रावण मास के प्रथम सोमवार की आप सभी को बहुत बहुत हार्दिक शुभ कामनायें। प्रभू से विनती है समस्त जगत का कल्याण करें। हममे चेतना जागृत हो सत्कर्म के साथ जीवन यापन की सुख दुख मे प्रत्येक का साथ देने की।                                                                                                                                   "मृत्युंजय महादेव त्राहिमाम शरणागतम"                                                                                        जन्म मृत्यु जरा व्याधि: पीड़ितमकर्मबंधनै:"                                                                                      पुन: आप सभी को श्रावण मास के प्रथम सोमवार की बहुत बहुत शुभकामनायें                                 जय जोहार ………                                                                                                                                                                                                                                                                

रविवार, 3 जुलाई 2011

दुम में कितना है दम

दुम में कितना है दम  
डार्विन ने मानव विकास के बारे में कहा था कि पहले मानव की भी पूँछ होती थी लेकिन लंबे समय तक इस्तेमाल न होने की वजह से वह धीरे-धीरे ग़ायब हो गई. वैज्ञानिक मानते हैं कि रीढ़ के आख़िर में पूँछ का अस्तित्व अब भी बचा हुआ है. वे ऐसा कहते हैं तो प्रमाण के साथ ही कहते होंगे क्योंकि विज्ञान बिना प्रमाण के कुछ नहीं मानता. बात जब रीढ़ की हड्डी की हो तो यह सभी जानते हैं कि रीढ़ की हड्डी की मजबूती  हमारे शरीर के लिए कितना महत्वपूर्ण है. और जब रीढ़ की हड्डी मजबूत हो तो 'दुम' जिसका अस्तित्व रीढ़ की आखिर में होना माना जा रहा है, में  दम तो रहेगा भाई. विवेकशील मानव में दुम का भौतिक रूप में दृश्य अस्तित्व भले न हो चारित्रिक अस्तित्व तो अवश्य है.  मन में उमड़ते घुमड़ते विचारों की श्रृंखला की एक कड़ी आपके समक्ष प्रस्तुत है कुछ इस तरह; 
 (१)
माता सीता की खोज में 
रामदूत हनुमान का हुआ आगमन लंका 
दुम हिलाया नहीं, दुम दबाया नहीं, 
वह दुम ही तो है,  
राख कर दी थी सोने की नगरी 
दुराचार पर सदाचार की 
जीत का बज गया था डंका 
(२)  
कुत्ता 
जानवरों में वफादार
दुम हिलाता मालिक सम्मुख 
पाता है  मालिक का प्यार
भार है घर की रखवाली का 
होवे दुलारा घरवाली का 
सुनके आहट अजनबी की 
कहता है,  हो जा प्यारे  खबरदार!
  करना नही  देहरी  पार
वरना 
दुम   की तरह,  इरादे हैं पक्के   
रह न पाओगे मानव तुम 
कर दूंगा तुम पे  दन्त, नख वार 
(३)
इंसान की दुम हो गयी है गायब 
फिर भी दुम हिलाता फिरता है 
दुम की दम पे टिकता है,
रख ताक इज्जत बिकता है 
हो चुकी होती है देर सम्हलने को 
जब दुनिया की नजरों से गिरता है 
                                 जय जोहार............                                                                                                     

रविवार, 5 जून 2011

"होनहार बीरबान के होत चीकने पात"

"होनहार बीरबान के होत चीकने पात" 

प्रत्येक माँ बाप की दिली तमन्ना होती है की उनकी संतान संस्कारिक कुशाग्र बुद्धि वाला और कुछ कर दिखाने का जज्बा रखने वाला हो. कहते हैं न "पूत कपूत तो का धन संचय. पूत सपूत तो का धन संचय" मेरे अनुसार शायद इसका अर्थ यह होना चाहिए; माँ बाप के लिए संस्कारिक संतान ही सबसे बड़ा धन होता है. कपूत निकला तो संचय किया हुआ धन व्यर्थ चला जाएगा और सपूत निकला तो खुद धन कमा लेगा. बच्चे  की उपलब्धि पर जितनी ख़ुशी उपलब्धि हासिल करने वाले को नहीं होती उतनी माँ बाप को होती है. इसका अनुभव दर-असल हमें आज विशेष रूप से हुआ. हमारा बालक "सुरम्य गुप्ता" वैसे तो बचपन से ही पढ़ाई के प्रति समर्पित रहा है, कोशिश यही रहती थी की शत प्रतिशत अंक अर्जित किया जावे. यदि १-२  नंबर कम मिलते थे तो आँखों से आंसू निकलना शुरू. हमें लगा कहीं यह स्वभाव आगे चलकर अवसाद को न निमंत्रण दे दे. धीरे धीरे उसे समझाते गए,  नर्वसनेस को अपने जीवन में स्थान नहीं देने के लिए.  माध्यमिक शिक्षा ९४% अंक के साथ उत्तीर्ण किया. सी बी एस ई पाठ्यक्रम रहा. गणित उसका प्रिय विषय है. कोचिंग भी लिया और इस वर्ष बारहवीं की परीक्षा ८९% (भौतिक, रसायन व गणित में क्रमशः ९४, ९१, व ९५ प्रतिशत) अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण किया.  सबसे अहम् बात रही भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई आई टी -जे ई ई ) प्रवेश परीक्षा, जिसमे   केवल ९,५०० - १०००० छात्र चुने जाते हैं,  ४,३०५ रेंक के साथ  उत्तीर्ण कर लेना. अभी ए आई इ इ इ का परिणाम आना बाकी है.  इस परीक्षा में लगभग पांच लाख छात्र  भाग लिए  थे.  इसके अलावा बिट्स पिलानी के लिए भी पात्रता हासिल कर लिया है. आज भारतीय स्टेट बैंक, क्षेत्रीय व्यवसाय शाखा  भिलाई द्वारा  आई आई टी में चयनित छात्रों के लिए सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था. वैसे भिलाई शहर छत्तीसगढ़ प्रांत का "एजुकेशन हब"  कहलाता है. हर साल इस शहर से ही औसतन ४०-५० छात्र चयनित होते हैं.  करीब पचास चयनित  छात्रों ने हिस्सा लिया.  प्रोत्साहन  राशि स्वरुप प्रत्येक छात्र को १००१ रुपये प्रदान किया गया. हमने भी इस कार्यक्रम में पत्नी श्रीमती सुरेखा  गुप्ता (वे स्वयं भारतीय स्टेट बैंक में कार्यरत हैं), बिटिया सुरभि गुप्ता (दन्त चिकित्सा निकाय में तृतीय वर्ष की छात्रा) व बेटा सुरम्य गुप्ता के साथ हिस्सा लिया. यही वह क्षण था, हम सभी के लिए हार्दिक ख़ुशी का. बिटिया भी माध्यमिक व उच्च्तार माध्यमिक परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण कीं. वैसे मै उसे ऑलराउंडर कहता हूँ क्योंकि वह उतनी ही रूचि के साथ सांस्कृतिक गतिविधियों में बढ़ चढ़ कर हिसा लेती है.  टॉप रेंक वाले तो कोटि कोटि बधाई के पात्र हैं ही, अपने बेटे सहित उन सभी विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई देना चाहूँगा जिन्होंने यह परीक्षा उत्तीर्ण की है.  अपने समस्त स्वजनों/ आत्मीयजनो/ मित्रों से उनकी प्रत्यक्ष/प्ररोक्ष दुआओं के लिए भी आभारी रहूँगा साथ ही बच्चे के उज्जवल भविष्य के लिए उनका आशीर्वाद चाहूँगा......
जय जोहार..........

शनिवार, 21 मई 2011

नगर नागपुर में तैनाती, हम हुए ब्लॉग लेखन से दूर


नगर नागपुर में  तैनाती,  हम हुए ब्लॉग लेखन से दूर
लगने लगा; थी चार दिन की चटक चांदनी
अब होगी अँधेरी हर रात हुजूर 
किन्तु 
स्नेह- सामीप्य- सुधा- बरसी  
२९ अप्रैल दोपहरी को 
अविस्मर्णीय बना वह क्षण 
सम्मुख पाया मन हर्षाया 
छत्तीसगढ़ "सारस्वत" ब्लॉग रत्न 
संग संग छत्तीसगढ़ साहित्य के प्रहरी को 
                      देर आये .......दुरुस्त आये तो नहीं कहूँगा बल्कि देर आये खूब सुस्ताये वाली बात चरितार्थ हो रही है. हिंदी साहित्य निकेतन नई दिल्ली की और से सारस्वत सम्मान हेतु चयनित मेरे सभी आदरणीय व प्रिय ब्लॉगर  मित्र गणों   सर्व श्री संजीव तिवारी जी ,  ललित शर्मा जी,  जी. के. अवधिया जी, गिरीश पंकज जी   अल्पना देशपांडे जी, पाबला जी, शरद कोकास जी  आदि सभी को मेरी ओर से हार्दिक बी लेटेड  बधाई स्वीकार हो. 
जय जोहार ............
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सोमवार, 4 अप्रैल 2011

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

या देवी सर्वभूतेषु मात्रि रूपेण संस्थिता 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः 
(१)
साल दो हजार ग्यारह का, अंग्रेजी मास अप्रेल है  
 कर दिया नाम रोशन देश का वह क्रिकेट का खेल है 
दिन न था एक अप्रैल  का, बना पाता कोई अप्रैल फूल
ये थे धोनी के धुरंधर,   चटा दिए  दिग्गज टीमों को धूल
टीम की एकजुटता, खिलाड़ियों का जुनून, 
देशवासियों की दुआएं, प्रभु ने लिया था सुन  
तारीख थी २ अप्रैल की, दृढ प्रतिज्ञ थे धोनी 
 राष्ट्र- कीर्ति हेत लक्ष्य "विजय" हो, 
कैसे हो सकती थी अनहोनी    
(२)
केवल खेल- दीवानगी, देश प्रेम का हो न  पर्याय 
काज करें रख भाव यह "सर्व  जन हिताय, सर्वजन सुखाय 
नव संवत्सर प्रारम्भ हुआ, है  तिथि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 
माँ भगवती से करें प्रार्थना रहित हो साल आपदा विपदा 
मात्रि स्वरूपा, शक्ति स्वरूपा माँ को बारम्बार प्रणाम है 
त्राहि त्राहि न मचे जग में, करे बिनती आम अवाम है.
आप सभी को नव-वर्ष नवरात्रि की शुभकामनाओं सहित 
जय जोहार ........

शनिवार, 19 मार्च 2011

होली की हार्दिक शुभकामनाएं


 

होली की हार्दिक शुभकामनाएं

अंग्रेजी शब्द "होली" का, हिंदी में पर्याय है पावन
यौवन के उन्माद में उन्मत्त, ऋतुराज बसंत मन भावन
बौरावत बगिया में अमुआ की डाली,
लगि फागुन की फगुनाई  बतावन
प्रहलाद की निश्छल भक्ति की  शक्ति
 होलिका  जारि  प्रहलाद बचावन
कान्हा खेलें  होली राधे संग 
बजे  ढोल नगाड़ा झांझ मंजीरा
बिरज की होली के फाग सुनावन
प्रेम रंग भरि  मार पिचकारी
होली का पावन परब मनावन

सभी मित्रों को "होली" की बहुत बहुत शुभकामनाएं


शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

साप्ताहिक यात्रा में रेल का रोल

(1) 
धरती पर अवतरित होते ही प्रारम्भ हो जाती है यात्रा 
सुख दुःख का मिश्रण होता है बदलती रहती है मात्रा
यदा कदा अति कष्ट में कहते प्रत्यक्ष- परोक्ष 
हे भगवान् उबार ले,  दिला दे जल्दी  मोक्ष.
(2)
शासकीय सेवा में अधिकारी के प्रमुख हथियारों में  प्रचलित 
  सहज, सरल  'ट्रान्सफर' के  हम भी हुए शिकार
पदोन्नति पर नागपुर में तैनाती, 
दूर न लगे हमें यार 
(3)
 प्रति शुक्रवार की शाम को पहुँचते रेलवे स्टेशन 
दुर्लभ होता मिलना, कम दूरी का रिजर्वेशन         
प्लेटफ़ॉर्म में चहलकदमी करते दिख जाते 
काले कोट वाले चल-टिकट-परीक्षक 
बेसहारा 'मांगीलाल' सरीखे
 हमारी भी नजर जाती उन पर अटक  
अनुनय विनय कर धीरे से 
  'सामान्य टिकट' के नीचे 
 हरे/कत्थे रंग की पाती रख उन्हें दिखाते 
तब कहीं 'सीट' मिल पाती, सफ़र सहज कर पाते 
मित्रों, यह तो रहा 'रेल' का,  इक छोटा सा 'रोल'
 अभी कछु नहीं सूझ रहा...बस 'हरि'  'हरि' बोल 
मित्रों यात्रा विवरण जारी रहेगा.  इस 'तुकबंदी' का स्वाद घरवालों को भी चखा दिया गया है. यात्रा के दौरान चाहे घराड़ी से हो या बच्चों से चलित दूरभाष में उपलब्ध 'सन्देश प्रेषण' सुविधा का उपयोग करते हुए इसी प्रकार 'तुकबंदी' में वार्ता कर लेते हैं. बिटिया भी इसका उत्तर तुकबंदी में देने का प्रयास करती है.  भले ही कविता को पोएट्री कहती है. उस पोएट्री में 'आंग्ल भाषा' के शब्दों का भी समावेश  किया जाता है . देखेंगे इसका नमूना ............अगले सोपान में............आप लोग.
जय जोहार......