"गरीबी" रह जाती है बनके हमेशा नेताओं की "मसखरी"
(१)
आज की विकराल समस्या
मँहगाई, बेरोजगारी भूखमरी
इनके तले दबी "गरीबी"
रह जाती है बनके हमेशा नेताओं की "मसखरी"
(२)
कुदरत ने भेजा है हमें
बाकायदा दिलो दिमाग़ के साथ
कुछ कर गुजरने की हो तमन्ना
बैठ न सकेगा फ़ालतू, धरके अपने हाथ पे हाथ
(३)
न कर पाया हासिल तालीम ऊंची
फिक्र की कोई बात नहीं
उगता है सूरज, खिलती है चांदनी,
लावे अमावस का अँधेरा, जीवन में हर रात नहीं
(४)
पांचवी पास एक आदमी, हुनर है ' काष्ठ-कारी' का
दे रहा रोजगार औरों को, काम है ठेकेदारी का
जरूरत है जज्बे की दिल में, हो जायेंगी सब समस्या दूर
मन के उमड़ते घुमड़ते इन विचारों पे गौर फरमाइयेगा जरूर.
जय जोहार.............
बाकायदा दिलो दिमाग़ के साथ
कुछ कर गुजरने की हो तमन्ना
बैठ न सकेगा फ़ालतू, धरके अपने हाथ पे हाथ
(३)
न कर पाया हासिल तालीम ऊंची
फिक्र की कोई बात नहीं
उगता है सूरज, खिलती है चांदनी,
लावे अमावस का अँधेरा, जीवन में हर रात नहीं
(४)
पांचवी पास एक आदमी, हुनर है ' काष्ठ-कारी' का
दे रहा रोजगार औरों को, काम है ठेकेदारी का
जरूरत है जज्बे की दिल में, हो जायेंगी सब समस्या दूर
मन के उमड़ते घुमड़ते इन विचारों पे गौर फरमाइयेगा जरूर.
जय जोहार.............