जानव जी संगी जम्मो तीज तिहार के महिमा।
बनाये रखथे रिस्ता नाता के गरिमा।।
करथन हमू सुरता अपन लइकई के।
नंदा गे वो ठेठरी खुरमी, परेम ममा दई के।।
अब तो संगी होगे हे कल्ला कटई ये तिहार।
कहां ओ प्यार, कहां मनुहार, कहां गंवागे लाड़ अऊ दुलार।।
बुढ़ी दाई, ममादाई, दाई, मौसी, बहिनी, भउजी फुफू, काकी बेटी, नतनिन जम्मो तिजहारिन मन ल

बनाये रखथे रिस्ता नाता के गरिमा।।
करथन हमू सुरता अपन लइकई के।
नंदा गे वो ठेठरी खुरमी, परेम ममा दई के।।
अब तो संगी होगे हे कल्ला कटई ये तिहार।
कहां ओ प्यार, कहां मनुहार, कहां गंवागे लाड़ अऊ दुलार।।
बुढ़ी दाई, ममादाई, दाई, मौसी, बहिनी, भउजी फुफू, काकी बेटी, नतनिन जम्मो तिजहारिन मन ल
