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बुधवार, 12 नवंबर 2014

त्यौहार और रिश्ता नाता

                                             त्यौहार और रिश्ता नाता
                                नाता रिश्ता मित्रता,  टूट कभी न जाय.
                                 होवे पर्व विशेषता, जोड़े रखता जाय..

वैसे तो बारहों महीने कोई न कोई व्रत त्यौहार हमारे देश में मनता रहा है फिर भी त्योहारों की श्रृंखला सावन मास की हरियाली से प्रारंभ हो कम अंतराल में कार्तिक पूर्णिमा तक चलते रहती है. प्रत्येक पर्व में व्यक्ति अपनी खुशहाली के साथ साथ दूसरों की खुशहाली के लिये भी दुआ मांगता है.  रिश्तों को अटूट बनाये रखने में भाई बहन का प्रमुख पर्व रक्षा बंधन और भाई दूज, वहीं पति-पत्नी के लिये करवा चौथ,  हरतालिका व्रत आदि आदि है...अतएव आयें; बैर भाव छोड़ सब साथ मिलकर प्रेम प्यार जिंदा रखते हुये पर्वों का आनंद  लेते चलें ...
जय हिंद,  जय भारत...

लुका गे हे जाड़

लुका गे हे जाड़ 
महिना कातिक बीत गे, जाड़ा हवे लुकाय.
अगहन कइसे बीतही, कुछू समझ नइआय.
.....जय जोहार शुभ रात्रि...

सफाई अभियान


सफाई अभियान
अभियान सफाई क्या कहता, करें खुद साफ गली कचरा.
जनता बेचारी की सोच यही, स्थानीय शासन वसूले न 'कर'
कर देंगे सफाई गली कचरा
फोटो खिचाने की होड़ लगी, ड्रम से कचरा गिरवान लगे 
खिचवावन लगे अपनी फोटो,
अपने मन का न हटा कचरा.
बस्ती मुहल्ले के रहवासी कर इतना
हफ्ता दर हफ्ता जरूर हटा, 
अपना अपना ये गली कचरा.....
स्वच्छता न केवल दिखावे के लिये वरन स्वास्थय के लिये आवश्यक....
जय हिंद,  जय भारत...

जाति और धर्म

 जाति और धर्म 
जात धरम के नाम पर, करते अत्याचार.
कोइ किसी के सामने क्यों होते लाचार.
क्यों होते लाचार, टेक घुटने हम देते.
मान वोट आधार  दमन की सुधि नहि लेते.
दे आतंक पनाह मुल्क एक, कहता करने को बात.
कंहि होवे न खतम इंसानियत, रह जाय धरम औ जात..
जय जोहार
……

नसबंदी या सांसबंदी (जान ले लेना)


 नसबंदी या सांसबंदी (जान ले लेना) 
(ये हैं छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल (सबसे बाएं)। सरकारी लापरवाही से जहां एक के बाद एक कई मौतें हो रही हैं, उस हालात में वे सिम्स में इस तरह मुस्कुराते दिखे। अस्पताल में परिजनों का हालचाल जानने के लिए मुख्यमंत्री रमन सिंह और स्थानीय विधायक राजू क्षत्री भी पहुंचे।)
 
रायपुर/बिलासपुर। नसबंदी शिविर में ऑपरेशन के बाद होने वाली मौतों का आंकड़ा मंगलवार को 7 से बढ़कर 13 तक जा पहुंचा। अस्पतालों में भर्ती 70 महिलाओं में से 25 की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। इन घटना के बाद रायपुर से दिल्ली तक जबर्दस्त प्रतिक्रिया हुई है। सरकारी महकमे में खलबली मच गई है। म्यांमार से आसियान सम्मेलन में जाते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टेलीफोन पर  मुख्यमंत्री रमन सिंह से बात की और घटना की जानकारी ली। स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा  दिल्ली एम्स के डॉक्टरों की एक टीम बुधवार को पीड़ित महिलाओं के इलाज के लिए बिलासपुर भेज रहे हैं। इधर मुख्यमंत्री मौके पर पहुंचे और आनन-फानन में स्वास्थ्य संचालक डॉ. कमलप्रीत सिंह को हटा दिया। सीएमएचओ समेत चार  को डॉक्टरों को निलंबित भी कर दिया है। दूसरी ओर घटना के विरोध में कांग्रेस ने बुधवार को छत्तीसगढ़ बंद का ऐलान किया है।
(दैनिक समाचार पत्र "दैनिक भास्कर" से साभार) … मन उद्वेलित हुआ और उमड़े विचार कुछ इस तरह  
 
नसबंदी के नाम पर, कैसा शिविर लगाय।
                  जनसंख्या दर रोकने, प्राणहि हर ले जाय॥                 
जन गरीब के जान की कौन करे परवाह।  
साफ़ सफ़ाई के लिये, इतने लापरवाह॥ 
पाप पुण्य की थाह तो, ले केवल भगवान. 
बन दुश्मन इंसान का, हरे प्रान इंसान.
शर्म प्रबंधन क्यों करे, खाना पूर्ति हो लक्ष्य 
नर-नारि ही हो गये, जैसे पदारथ भक्ष्य........
जय जोहार...

रविवार, 14 सितंबर 2014

हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.

संविधान मे पारित
राजभाषा
बन नही पाई राष्ट्र भाषा
बेचारी हिंदी
भारत माँ के माथे की
अभागन बिंदी
दिला न पाई माँ
को सुहागन का दर्जा
धन्य हैं हम सपूत
असली हीरे की बिंदी छोड़
अमेरिकन डायमंड की बिंदी
माँ को भेंटकर सोचते हैं
सड़सठ बरस बीत गये
काम चल रहा है
कछु नहीं है हरजा.....e

सोमवार, 25 अगस्त 2014

पोरा तिहार के गाड़ा गाड़ा बधाई

                                                       


         मिल जुल के अब रहई नंदा गे…
         दइ बहिनी ल घर बलई नंदा गे…
      जम्मो बूता काम म फंदा गे…
      अब कहां दिखथे  बंधे बंधाये, ओइसन परेम के डोरी डोरा…
       बने हवे गांव वाले दई बहिनी मन
, मानथें सुग्घर तीजा पोरा……
      दिखत नइये  घर म ठेठरी खुरमी
          अब्बड़ बिटोवै उमस अउ गरमी
     ये फेस बुकेच म जम्मो ल देत बधाई,  
बइला पूजा के फोटू देखावत सब पकवान ल जोरा
बने हवे गांव वाले दई बहिनी मन,  मानथें सुग्घर तीजा पोरा…
                                              जय जोहार ……
पोरा तिहार के  गाड़ा गाड़ा बधाई…
 (चित्र गूगल से साभार)

रविवार, 24 अगस्त 2014

पर लगे अनाड़ी

पर लगे अनाड़ी

 क्रिकेट खेल के  बल पर होते कइयों मालामाल.
बात समझ नहि  आवे क्यों ये बाहर होत हलाल.
क्यों बाहर होत हलाल, खुद समझें ये खिलाड़ी
कहलाते हैं शेर पर   लगे अनाड़ी
हों पारंगत बॉलिंग मे चले भी इनका बेट.
भेजें इन्हे अभ्यास को बाहर, भारतीय बोर्ड क्रिकेट...

लाज लिहाज


 लाज लिहाज

अनुशासन की डोर हम कबसे दिये हैं ढील..
घर की इज़्जत आबरू कौन रहा है लील.
कौन रहा है लील, जानत  जग सारा.
आधुनिकता में डूब चला लाज लिहाज बेचारा.
करत नार का चीर हरण जंह तंह दुशासन.
घर की लाज बचाओ रख स्वअनुशासन..

गठबंधन

गठबंधन
गठबंधन की गांठ मे, रहा न कोई दम.
देख समय की चाल को, छूट जात हरदम.
छूट जात हरदम, नेता बदले पाला
राजनीति का धर्म यह अजब निराला
जनसेवा के नाम लूटते, नहि कोई बंधन
ढीली जिसकी गांठ वह कैसा गठबंधन..
जय जोहार.....

रविवार, 10 अगस्त 2014

मौसम, उमस व मच्छर

मौसम, उमस व मच्छर

मौसम पर डाले गये पोस्ट को कब डीलिट मिल गया(एक्चुअली गलती से डीलिट हो गया) समझ नही पाया...सोच रहा हूं वक्त न करूं जाया ...फिर से लिख मारूं भाया:-
मौसम का बदला था तेवर
इक दोपहरी बरसा जमकर
बादल ने दिखलाया ताव
भले बरसा वह घंटा पाव
(मात्र पंद्रह मिनट)

सूरज निकला गरमी लेकर
डूब चला वह ऊमस देकर
 

चंद घंटे बदरा छितराये
चमक चांद चांदनि इतराये
चला न इनका यूं इतराना
पुनि नभ बादल का छा जाना
उमस प्रभाव भये बड़ व्याकुल
तन बैठन मच्छर अति आकुल
मम शरीर खल कीन्ह चढ़ाई
रक्तपान करि तुरतहि जाई
बार बार यहि कृत्य ये करते
कछु भग जात मारे कछु मरते
बार बार करुं सोच बिचारा
कब मिलिहैं इनसे छुटकारा
लगा शयन-पट मच्छरदानी
तव सो पायेंव नींद सुहानी
मच्छरदानि लगाइये करें न म़च्छर तंग
बात हमेशा मानिये नहि होगी निद्रा भंग.
जय जोहार...

सम्प्रदाय बनाम धर्म

 सम्प्रदाय बनाम धर्म
केवल पल भर के लिये, मन मे लायें भाव.
नाम 'धरम' हम क्यूं करें, दिल में गहरा घाव.
बात हमेशा मानिये, संप्रदाय नहि धर्म.
जीव जगत मे भोगता, करता जैसा कर्म.


व्यर्थ कट्टर पंथवाद को बढ़ावा देना छोड़ प्रत्येक संप्रदाय की अच्छाइयों का निचोड़ निकाल सत्कर्मों की ओर बढ़ें. हां भई सैकड़ों समाचार चैनल अपने व्यवयाय की वृद्धि के लिये, ऊपर से विरोधी अंदर से मित्र का संबंध रखने वालों, समाधान के बदले समस्या का स्वरूप विकराल करने वालों को बिठाना और स्थिति यहां तक पहुंचा देना कि बस अब दोनो मे वाक युद्ध से आगे हस्त शस्त्र संग्राम न चालू हो जाय ऐसा प्रतीत होने लगे, आवश्यक समझते हों तो बात अलग है.
 

लगती प्रश्नों की झड़ी.
नहि मिलती उत्तर की कड़ी.
एक से पूछा जाता उत्तर
दूजा सोच से पाता इत्तर.
हो जाता वह भी शुरू
इतने से काम न चलता गुरू
चालू हो जाते सब के सब
मिल जातीं आवाजें,
कछु समझ न आये
कहता प्रश्नकर्ता नहि समय है अब....

कोई ये क्यूं नही समझता समझाता कि बिना किसी को नुकसान पहुंचाये, अपने अपने पथ पर चलें क्योंकि दावे के साथ कहा जा सकता है कि धर्म तो केवल एक है और वह है, इंसानियत, मानव धर्म...
जय जोहार...

मंगलवार, 27 मई 2014

कामयाबी और नकामी

कभी भी 'कामयाबी' को दिमाग और 'नकामी' को दिल में जगह नहीं देनी चाहिए। क्योंकि, कामयाबी दिमाग में घमंड और नकामी दिल में मायूसी पैदा करती है।

शुक्रवार, 23 मई 2014

सुशासन

बात सुशासन की करें, समझावें न उपाय
स्व-अनुशासन अमल में कैसे लाया जाय
स्वच्छ रखें सुन्दर रखें घर शहर अरु गांव
तन मन सुंदर होत हैं, रोग पसारे न पांव
जनता के लिये चुनत है, जनता मुखिया कोय
गर काज सही वह करत है, कोइ दुखिया काहे होय
बिनती जनता से करूं, सोचे न केवल स्वार्थ
व्यर्थ कबहुं नहि जात है, किय कारज परमार्थ
जय जोहार

गुरुवार, 22 मई 2014

राष्ट्र की उन्नति में जनता का कितना योगदान


मेरे मन में.यह विचार उमड़ रहा है कि हम यदि राष्ट्र सर्वोपरि मानते हैं, तो हमारा कर्तव्य राष्ट्र की सेवा करना होना चाहिए, किसी भी रूप में. यह सभी जानते हैं ईश्वर ने हमें मानव रूप में भेजकर हमें कितना भाग्यशाली बनाया है ...रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदासजी ने बड़े अच्छे ढंग से समझाया है ...
"बड़े भाग मानुष तन पावा | सुर दुर्लभ सद् ग्रन्थन्हि गावा ||
साधन् धाम मोक्ष कर द्वारा | पाई न जेहिं परलोक सँवारा ||"
इसका अर्थ है मानव  शरीर बड़े ही भाग्य से प्राप्त होता है क्योंकि मानव शरीर पाना देवताओं के लिए भी दुर्लभ होता है अर्थात मानव शरीर के लिए देवता गण भी तरसते रहते हैं - लालायित रहते हैं | ऐसा इसलिए कि मानव शरीर जीव को मोक्ष के दरवाजे तक पहुँचाने के लिए समस्त मोक्ष साधनों का धाम या घर है | इस मानव शरीर को पाकर भी जो मनुष्य अपना परलोक सँवार नहीं लेता यानी अपने जीव का उद्धार तथा मुक्ति-अमरता नही  पा लेता वह वहाँ परलोक में और यहाँ लोक में अपार दु:ख, कष्ट पाता है .
मगर कैसे ?  शायद सबसे पहली सीढ़ी इसकी "परहित सरिस धरम नहि भाई. पर पीड़ा सम नहि अधमाई.." हो.  चलिए परहित को भी थोड़ी देर के लिए गोली मारें. हमारे आस पास यदि कोई ऐसा कार्य है जिसके न करने से न केवल आस पास के निवासियों को, वरन स्वतः  को  भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा हो तो शासन की ओर मुंह ताकने के बजाय हम मुहल्लेवासी ही उसका निराकरण कर लें तो कैसा हो. यदि विरोध हो भी रहा हो अन्यों के द्वारा तो कोई एक व्यक्ति जो उस कठिनाई के निराकरण के लिए किसी काम  को कराने के लिए सक्षम हो तो उसके द्वारा वह काम  करा लिया जाय. और यह तभी संभव हो पायेगा जब थोड़ी देर के लिए दूसरों का नफ़ा नुकसान  भूल जाय.  इस बाबत यह विनिर्दिष्ट करना अनुचित नहीं होगा कि ऐसे कामों के लिए शासन कहें या नगरी निकाय कहें,  जो इन सब चीजों के लिए जनता से "कर" वसूलता है वह यदि किसी व्यक्ति विशेष या जन समूह, जिसके  द्वारा कोई काम  करवाया जाता है, को न केवल वसूले जाने वाले कर भुगतान में छूट प्रदान कर बल्कि कर की राशि में वास्तविक लागत समायोजित करते हुए शेष राशि का भुगतान कर उन्हें प्रोत्साहित करे तो बात ही क्या. मगर यह तब संभव होगा जब कुछ इस तरह के प्रावधान वाले नियम बनाए जांय.  नगर के हर मुहल्लों में सफाई का कार्य, छोटी छोटी सड़कों का  निर्माण का कार्य, नाली सफाई का कार्य इस विधि से कराया जा सकता है .  फिर क्यों ताकना पड़ेगा उन जन्प्रतिनिधियों का मुंह जो केवल चुनाव के समय जन जन के द्वार पर दस्तक देते हैं मगर बाकी समय "जय रामजी की".  हां एक बात और, लोगों में जागृति पैदा करनी होगी कि भैया अब हम मोहल्ले वालों द्वारा ही मोहल्ले की साफ़ सफाई, बिजली पानी की व्यवस्था की जा रही है इसलिए फ़र्ज़ बनता है की इसे बरक़रार रखें. कहीं पर थूक देना, गंदगी करना बर्दाश्त नहीं होगा और ऐसा करते पाए गए तो  सीधे हवालात की सैर करने तैयार रहना . मानता हूँ कि आज बहुतायत में पति पत्नी दोनों अर्थोपार्जन में लगे हैं अतः वे ऐसे कार्यों की निगरानी नहीं कर पायेंगे पर घर में रहने वाले चाहे वे बेरोजगार युवक हों या सेवा निवृत्त बड़े बुजुर्ग  निगरानी में रहने  वाले  अपने आपको इन कार्यों के लिए सहयोग प्रदान कर सकते हैं. बस एक चीज मन से निकालना होगा:  "हटा अपने को क्या लेना देना जिस स्टैण्डर्ड का भी काम हो रहा हो, हमारे घर का काम थोड़े ही है" हो सकता है कुछ इस तरह विकास कार्य का प्रारम्भ
....जय जोहार ......

बुधवार, 1 जनवरी 2014

नवा साल के गाड़ा गाड़ा बधाई


नवा साल के गाड़ा गाड़ा बधाई
बीते साल ह बीतिस कइसे 
नज़र थोकिन दउड़ाव 
सब दिन एक बरोबर नइ  होय 
कभू घाम कभु छाँव 
कलकुत माँ काटेव जउन दिन ल 
झन ओला गोहराव 
प्रभु किरपा ले उबरेव कइसे 
ओला झनिच भुलाव 
नवा साल म खुशहाली बर 
धरती माता के रखवाली बर 
उठे रहै तुंहर पाँव 
लुटै न अस्मत मई लोगन के 
कवच उंखर बन जाव 
नवा साल के देत बधाई 
मैं प्रभु पद सीस नवांव 
साल दू हजार चउदा  हमर जम्मो संगवारी मन बर मंगलकारी होय इही कामना करत.… 
जय जोहार …