आस लगाए सब रहिन, भारत जाही जीत।
फेर हार सँग बाढ़ गय, उंखर मन के प्रीत।।
उंखर मन के प्रीत, पड़िस लोगन बर भारी।
बनथे फोकट रीत, टीम ला दे बर गारी।।
मुखिया गइस मितान, 'कांत' उनला समझाए।
लाहीं नवा बिहान, बइठ तँय आस लगाए।।
सूर्यकान्त गुप्ता, सिंधिया नगर दुर्ग(छ.ग.)
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