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शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

साप्ताहिक यात्रा में रेल का रोल

(1) 
धरती पर अवतरित होते ही प्रारम्भ हो जाती है यात्रा 
सुख दुःख का मिश्रण होता है बदलती रहती है मात्रा
यदा कदा अति कष्ट में कहते प्रत्यक्ष- परोक्ष 
हे भगवान् उबार ले,  दिला दे जल्दी  मोक्ष.
(2)
शासकीय सेवा में अधिकारी के प्रमुख हथियारों में  प्रचलित 
  सहज, सरल  'ट्रान्सफर' के  हम भी हुए शिकार
पदोन्नति पर नागपुर में तैनाती, 
दूर न लगे हमें यार 
(3)
 प्रति शुक्रवार की शाम को पहुँचते रेलवे स्टेशन 
दुर्लभ होता मिलना, कम दूरी का रिजर्वेशन         
प्लेटफ़ॉर्म में चहलकदमी करते दिख जाते 
काले कोट वाले चल-टिकट-परीक्षक 
बेसहारा 'मांगीलाल' सरीखे
 हमारी भी नजर जाती उन पर अटक  
अनुनय विनय कर धीरे से 
  'सामान्य टिकट' के नीचे 
 हरे/कत्थे रंग की पाती रख उन्हें दिखाते 
तब कहीं 'सीट' मिल पाती, सफ़र सहज कर पाते 
मित्रों, यह तो रहा 'रेल' का,  इक छोटा सा 'रोल'
 अभी कछु नहीं सूझ रहा...बस 'हरि'  'हरि' बोल 
मित्रों यात्रा विवरण जारी रहेगा.  इस 'तुकबंदी' का स्वाद घरवालों को भी चखा दिया गया है. यात्रा के दौरान चाहे घराड़ी से हो या बच्चों से चलित दूरभाष में उपलब्ध 'सन्देश प्रेषण' सुविधा का उपयोग करते हुए इसी प्रकार 'तुकबंदी' में वार्ता कर लेते हैं. बिटिया भी इसका उत्तर तुकबंदी में देने का प्रयास करती है.  भले ही कविता को पोएट्री कहती है. उस पोएट्री में 'आंग्ल भाषा' के शब्दों का भी समावेश  किया जाता है . देखेंगे इसका नमूना ............अगले सोपान में............आप लोग.
जय जोहार......

सोमवार, 14 फ़रवरी 2011

वेलेंटाइन डे या वेलऐंठाइन डे

वेलेंटाइन डे या  वेलऐंठाइन  डे
संत वेलेंटाइन को सादर नमन वंदन.  १४ फरवरी को वेलेंटाइन डे के रूप में मनाये जाने की पृष्ठभूमि के बारे में ज्यादा मालूम तो नहीं है किन्तु इतना अवश्य पता चला है  कि  प्रत्येक रिश्ते नातों बीच प्रेम का इजहार करने के लिए यह दिन नियत है. यहाँ पर इसे क्षेत्रीय बोली में नाम परिवर्तित करते हुए अंग्रेजी और हिंदी/छत्तीसगढ़ी का प्रयोग करते हुए सन्देश पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है;
प्रेम की डोर में हो ऐंठन इतनी कि अलग न हो पाए तागा
मात-पिता भ्रात अरु-भगिनी, चाहे मन जिससे है लागा 
(रिश्ते के अनुसार "प्रेम" का अर्थ समझ अपनाएँ)
 आज हम अपने कर्त्तव्य स्थली नागपुर  जो कि गृह नगर से  तकरीबन २६५ किलोमीटर दूर है,  रेल से आ रहे थे. मन में कुछ ख़याल इस तरह के बने;
  वेलेंटाइन डे अलग कछु है नहीं, करावे प्रेम-इजहार
 रिश्ते नाते को ध्यान में रख चुन लें इसके प्रकार
पर क्या करें; युग प्रभाव का जोर है हो जाती "वासना" हावी 
संस्कारों का हो रहा दहन, हुई है अभी शुरुआत, कैसी होगी पीढ़ी भावी.   
खैर "प्रेम दिवस" की सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं.
जय जोहार.............