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मंगलवार, 25 जनवरी 2011

तिरंगा - प्रेम

तिरंगा - प्रेम 
(१)
हे राष्ट्र ध्वज "तिरंगा" !
हर साल  अंग्रेजी महीने की  तारीख 
  छब्बीस जनवरी व पंद्रह अगस्त को   
महज औपाचारिकता ही सही 
करती जनता तेरा ध्यान 
देती है तुझको सम्मान 
इतिहास का भले हो न हो ज्ञान 
भाई कोई बात नहीं, सब चलता है 
क्योंकि देश में चले प्रजा का  तंत्र
क्या फर्क पड़ता है, स्वतंत्रता दिवस हो छब्बीस जनवरी
या पंद्रह अगस्त हो दिवस-गणतंत्र


(२)
हे राष्ट्र ध्वज तिरंगा!
जाने हैं कितने लोगों ने तेरी अहमियत 
तेरे प्रति अचानक उमड़ता, छलछलाता प्यार 
क्या नहीं लाता शक़ के दायरे में किसी की नीयत 
लानत है; बजती है ढपली 
"कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक भारत एक है 
मगर फहर नहीं सकता "तिरंगा" कश्मीर में 
यह कहने वालों के  इरादे क्या नेक हैं?
(३)
हे राष्ट्र ध्वज "तिरंगा"
येन केन प्रकारेण हम सभी के दिलों में
बहा दे प्रेम की गंगा, 
फहरने फहराने में तेरे 
 कभी कोई डाल न पाए  अड़ंगा  
...........जय हिंद 
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाओं सहित 
जय जोहार ........


7 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अच्छी प्रस्तुति ....गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें

Akanksha Yadav ने कहा…

तिरंगे के साथ सुन्दर रचना...बधाई.

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बने कहे भैया।
गणतंत्र दिवस के हार्दिक बधाई।

Kunwar Kusumesh ने कहा…

सुन्दर,सही और सार्थक..

रचना दीक्षित ने कहा…

गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें
बेहतरीन प्रस्तुती

Dr Varsha Singh ने कहा…

सच्चाई को वयां करती हुई रचना , बधाई.

संजय भास्‍कर ने कहा…

गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें
बेहतरीन प्रस्तुती