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बुधवार, 22 जनवरी 2020

बृहस्पतिवार के लिए चंद पंक्तियाँ

ॐ गं गणपतये नमः
ॐ नमश्चंडिकायै
ॐ हं हनुमंताय नमः
ॐ नमः शिवाय
ॐ बृं बृहस्पतये नमः
ॐ वाणी हिरण्यगर्भाभ्याम् नमः
सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमः
मातृ पितृ चरणकमलेभ्यो नमः


कर  लो  अर्जन  ज्ञान  का, ज्ञानी गुरु के शिष्य।
वर्तमान  पर   ध्यान   दो,   भूलो भूत  भविष्य।।
भूलो  भूत  भविष्य,  अध्ययन  लक्ष्य  ठानकर।
करो    चित्त   एकाग्र,   साधना   मंत्र  मानकर।।
अवसर  यह अनमोल,  ज्ञान  की झोली भर लो।
कमा  जगत  में  नाम,  सार्थक  जीवन  कर लो।।


महाबली   हनुमान,  दास  सखा  प्रिय  राम  के।
गुरुवर  कृपानिधान,  तुम   सम   दूजा  कौन है।।


सादर.....
              शुभ बृहस्पतिवार
          आपका दिन मंगलमय हो
           सादर  नमस्कार  प्रणाम
🌹🌹🌹🙏🙏🙏🌹🌹🌹
  सूर्यकान्त गुप्ता
  सिंधिया नगर दुर्ग(छ.ग.)

गुरुवार, 26 दिसंबर 2019

गरहन

गरहन

गरहन  सूरज  चाँद ला,  धरथे  जी हर साल।
चंदा   पृथवी  रेंगथें,  अलग  अलग  हे चाल।।
अलग अलग हे चाल,  एक  लाइन मा आथे।
धरती   सूरज   बीच,  खड़ा  चंदा  हो  जाथे।।
देस राज मा 'कांत', आय झन काँही  अलहन।
जन  मानस बर लाय, नतीजा बढ़िया गरहन।।
सादर......
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
सूर्यकान्त गुप्ता, 'कांत'
सिंधिया नगर दुर्ग(छ.ग.)
(चित्र गूगल से साभार)

सोमवार, 23 दिसंबर 2019

खामी

खामी...


खामी अब बिल्कुल नहीं, तुझमें ई. व्ही. एम.।
दिखा  दिया  सबको यहाँ, मतदाता  का प्रेम।।
मतदाता   का  प्रेम, समझ मत देख  फायदा।
कारण   केवल  लोग,  निभाते  नहीं  वायदा।।
कौन नहीं पर आज,  प्रलोभन  के  अनुगामी।
प्रथम झाँक ले 'कांत', स्वयं भीतर की खामी।।


सादर प्रणाम सहित...
सूर्यकान्त गुप्ता, 'कांत'
सिंधिया नगर दुर्ग(छ.ग.)

गुरुवार, 28 नवंबर 2019

छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस

मोर राज के रहवइया जम्मो झन ल 
राज भाषा दिवस के बधाई देवत
गाड़ा गाड़ा बधाई जी...

मान  हिंदी   के  हवै  जस  मोर  भाखा  के  घलो।
अमल मा एला तो लाये, बर उदिम अब कर घलो।।१।।

व्याकरण  सँग  पोठ  एकर शब्द के भंडार हो।
पाठशाला मा पढ़ाये बर उदिम अब कर घलो।।२।।

आय   गुरतुर   मोर   बोली   प्रेम  रस मा हे पगे।
लाज  बोले  मा हटाये बर उदिम अब कर घलो।।३।।

गुरु 'अरुण' के पा कृपाA हम छंद ला जाने हवन।
दायरा एकर बढ़ाये बर उदिम अब कर घलो।।४।।

'कांत' खाली  गोठ नो  है, आय भाखा  पोठ जी।
पोठ एला अउ  बनाये बर उदिम अब कर घलो।।५।।

हमर राज के गुरतुर भाखा
छत्तीसगढ़ी के राजभाखा घोषित होय के 12 साल पूरे के 
खुशी मनावत आप मन ला राजभाषा दिवस के गाड़ा गाड़ा बधाई...जय जोहार...

सूर्यकान्त गुप्ता, 'कांत'
सिंधिया नगर दुर्ग(छ.घ.)





रविवार, 9 जुलाई 2017

आँचल

                    आँचल

माँ का आँचल ढाँकता, बेटे का हर दोष।
कितनी भी हो गलतियाँ, उपजे कभी न रोष।।
उपजे कभी न रोष, प्रेम की सरिता बहती।
ममता अपरंपार, कष्ट वह सब कुछ सहती।।
वृद्ध आश्रम आज, पुकारत कहता आ चल।
क्यों जाते हम भूल, मातृ ममता का आँचल।।

जय जोहार....

सूर्यकान्त गुप्ता
सिंधिया नगर दुर्ग (छ.ग.)

ज़रूरत और ज़ररूरती

                    ज़रूरती

जाहिर करें ज़रूरती, चीजें क्या हैं खास।
अन्न वस्त्र घर और क्या, रखते अपने पास।।
रखते अपने पास, आज क्या गैर ज़रूरी।
आता हमको त्रास, देख सबकी मज़बूरी।।
रह रत भोग विलास, सकेलन में सब माहिर।
राज करत अन्याय, देखिये जी जग जाहिर।। 

                       ज़रूरत

रहता इस संसार में,  कौन ज़रूरतमंद।
निम्न उच्च मध्यम यहाँ, शब्दजाल में बंद।।
शब्दजाल में बंद, वर्ग मध्यम फँस जाता।
उच्चवर्ग को ऐश, निम्न को माँँगन भाता।।
किंतु ज़रूरत तोरि, वर्ग बिन देखे कहता।
आज ज़रूरतमंद, कहूँ हर कोई रहता।।
(स्वरचित)
सादर.......
सूर्यकांत गुप्ता
सिंधिया नगर दुर्ग (छ.ग.)







मंगलवार, 27 जून 2017

दहलीज

              दहलीज़ (कुंडलियाँ)
आकर सब संसार में, करत पार दहलीज।
कहीं शत्रु से सामना, बनता मित्र अज़ीज।।
बनता मित्र अज़ीज, निभाता सच्चा नाता।
संकट में वह काम, आपके हरदम आता।।
लेंगे हम विश्राम, लक्ष्य को आखिर पाकर।
करत पार दहलीज, जगत में प्राणी आकर।।
स्वरचित
सादर
सूर्यकांत गुप्ता...
सिंधिया नगर दुर्ग (छ.ग.)