भले न पढ़ पाए सुबह का अखबार
मालूम तो था कि भारत ने कल हॉकी में,
विरोधी की एक चलने न दिया,
गोल दागे जम के चार
खेलन को निकले थे होली, बातों बातों में
मिला हमें यह समाचार
हमारे एक खिलाडी का,
पता नहीं, इरादे तो नहीं कह सकते
हो सकता है, जोश में विरोधी टीम के किसी को
पड़ गई हो स्टिक की मार
ताव ही ताव में प्रबंधन ने संगीन मान इसे
जारी कर फरमान निलंबन का (सीधे तीन मैच का)
कर दिया उसका बंटाधार
हार की मार न पचा पाय न विरोधी
कम से कम इस निर्णय से उनका
दूर हुआ होगा मन का गुबार
हमारे देश की टीम के लिए
"जोश भी हो जश्न भी हो जिद्द हो जीतने की जंग"
की भावना के साथ विजयश्री हासिल करें
विश्व कप लाये ऐसी कामना के साथ
जय जोहार
4 टिप्पणियां:
बने उमड़े घुमड़े हे,
सुभीता खोली के चिंतन।
बने खे्ले हस होली
अउ करे हस रंग सिंचन्।
जय हो।
होली पर आपकी बेहतर रचना और होली, दोनों को हार्दिक शुभकामनाएं........www.sansadji.com
हमारी भी शुभकामनाएँ.
बल्ले बल्ले हो गयी है...बधाईयाँ...जीत का ये सिलसिला बना रहे बस...
तीन साल का नहीं...तीन मैच का बैन लगा है शायद...
नीरज
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