(१)
ब्लॉग लेखन से क्या जुड़े, नित उमड़त रहत विचार
जब तब फुरसत पाइके, लिख डारत आखर चार
(२)
ड्यूटी के लिये निकल पड़े, पहुंचे रेल्वे स्टेशन
गाड़ी की लेट लतीफ़ी, लावे दिमाग मे टेंशन
(३)
प्लेट फ़ॉर्म मे टहल रहे, उपजत रह्यो खयाल
शरीर स्वस्थ कैसे रखें, कैसे ठीक हो मन का हाल
(४)
प्रात खाट नित छोड़ि के, नित्य कर्म निपटाय
योग करें, कसरत करें, या पैदल टहला जाय
(५)
भोर वायु शुद्ध रहत है, जानत यह सब लोग
करें सेवन इसका सभी, दूर भगावे रोग
(६)
(रात मे)
मन विचलित हो तनिक भी, पढ़ें उबाउ किताब
दुइ चार पन्ने पल्टाइये, आयेगी नींद जनाब
(७)
ज्ञान सुमन सुरभित करे, धर्म ग्रन्थ साहित्य
पठन मनन वाचन करें, अरु चिंतन लेखन नित्य
(८)
और अंत में
केवल इतना लिख सका, करुं जरा विश्राम
शुभ रात्रि स्वीकार हो मेरे प्यारे ब्लॉग आवाम
जय जोहार...........
12 टिप्पणियां:
पुरे दिन की दिनचर्या समझा दी...
सुंदर शब्दों में ढले उम्दा दोहे.
मन विचलित हो तनिक भी, पढ़ें उबाउ किताब
दुइ चार पन्ने पल्टाइये, आयेगी नींद जनाब|
बहुत बढ़िया दोहे....और यह तो बिलकुल सटीक...
उमडत घुमडते विचार से हमे दिया समझाये
अच्छे जीवन को जीने का ढंग दिया बतलाये
बहुत सुन्दर दोहे हैं धन्यवाद।
बेहतरीन...एक हमारी ओर से ले लें:
प्रातः खाट नित छोडि के, मन में यही विचार
नित्य कर्म पहले करें या पहले टिप्पणी चार.
लटपटे झटपटे अटपटे दोहे कहे चार
झटपट मन में करते उर्जा का संचार
बने चलत हे-घुटना काम करत हे।
जोहार ले
बेहद सुन्दर दोहे है भाई जी !!
जय जोहार !
ब्लॉग लेखन से क्या जुड़े, नित उमड़त रहत विचार
जब तब फुरसत पाइके, लिख डारत आखर चार.......bahut badhiyaa dincharyaa...
(२)
वाह एकदम सटीक दोहे हैं..
भई वाह्! बहुत खूब.....
मन आनन्दित हो गया आपके अटपटे नहीं बल्कि चटपटे दोहे बाँच कर....
वाह --- बहुत सुन्दर
उम्दा पोस्ट
आपके ब्लाग की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर भी है-क्लिक करें
यह भी खूब रही.
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