मनुष्य जन्म लेता है,
पग रखता है धरती पर
रिश्ते- नातों की श्रृंखला में
जुड़ जाती है एक और कड़ी.
(२)
रिश्तों में खटास पैदा होने में नहीं लगती देर
लगा दिए जाते हैं सगे सम्बन्धियों पर आरोप
कही सुनी बातों को लेकर बिना दरयाप्ति के
या होके पूर्वाग्रह से ग्रसित
क्या कहें इसे गलती इंसान के सोच की
या समय का फेर
हो जाती है कहा सुनी
खींच जाती है सबंधों के बीच
दरार की रेखा
सत्य है, कमान से निकला तीर
जुबान से निकले शब्द वापस नही आते
यह सभी ने है देखा
(४)
देखता है मुड़कर पीछे
करता है अपने आप से सवाल
बीता वाकया क्या जायज था
अंतरात्मा से निकलती है आवाज
नही!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
होने लगती है आत्मग्लानि
झुलस रहा है पश्चाताप की आग में
(५)
पता चलता है इस बात का आरोपित व्यक्ति को
तत्पर हो उठता है बढ़ाने को सामीप्य
मानके उसका कृत्य क्षम्य
प्रतीक्षा में है मिलन के बेला की
ख़त्म होती है इन्तेजार की घड़ियाँ
दिला जाता है आभास जुड़ने वाली
है फिर से ये रिश्ते नातों की कड़ियाँ
मिलती है नजरें छलक पड़ता है नयनो से नीर
स्वीकारना अपनी गलती हर लेता मन का पीर
....ईश्वर से प्रार्थना करते हुए, किसी के प्रति किसी के मन में खटास नही आनी चाहिए
जय जोहार.....
रिश्तों में खटास पैदा होने में नहीं लगती देर
लगा दिए जाते हैं सगे सम्बन्धियों पर आरोप
कही सुनी बातों को लेकर बिना दरयाप्ति के
या होके पूर्वाग्रह से ग्रसित
क्या कहें इसे गलती इंसान के सोच की
या समय का फेर
हो जाती है कहा सुनी
खींच जाती है सबंधों के बीच
दरार की रेखा
सत्य है, कमान से निकला तीर
जुबान से निकले शब्द वापस नही आते
यह सभी ने है देखा
(४)
देखता है मुड़कर पीछे
करता है अपने आप से सवाल
बीता वाकया क्या जायज था
अंतरात्मा से निकलती है आवाज
नही!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
होने लगती है आत्मग्लानि
झुलस रहा है पश्चाताप की आग में
(५)
पता चलता है इस बात का आरोपित व्यक्ति को
तत्पर हो उठता है बढ़ाने को सामीप्य
मानके उसका कृत्य क्षम्य
प्रतीक्षा में है मिलन के बेला की
ख़त्म होती है इन्तेजार की घड़ियाँ
दिला जाता है आभास जुड़ने वाली
है फिर से ये रिश्ते नातों की कड़ियाँ
मिलती है नजरें छलक पड़ता है नयनो से नीर
स्वीकारना अपनी गलती हर लेता मन का पीर
....ईश्वर से प्रार्थना करते हुए, किसी के प्रति किसी के मन में खटास नही आनी चाहिए
जय जोहार.....
14 टिप्पणियां:
साहेब जोहार ले
मस्त रहो मस्ती में,आग लगे बस्ती में।
बेहतरीन!
जोहार ले
...जय जय छत्तीसगढ !!!
...जय जोहार!!!
जय जोहार!
bahut hi sundar our philosphical poem.....जय जोहार
शानदार रचना
जय जोहार
हिंदी ब्लॉग लेखकों के लिए खुशखबरी -
"हमारीवाणी.कॉम" का घूँघट उठ चूका है और इसके साथ ही अस्थाई feed cluster संकलक को बंद कर दिया गया है. हमारीवाणी.कॉम पर कुछ तकनीकी कार्य अभी भी चल रहे हैं, इसलिए अभी इसके पूरे फीचर्स उपलब्ध नहीं है, आशा है यह भी जल्द पूरे कर लिए जाएँगे.
पिछले 10-12 दिनों से जिन लोगो की ID बनाई गई थी वह अपनी प्रोफाइल में लोगिन कर के संशोधन कर सकते हैं. कुछ प्रोफाइल के फोटो हमारीवाणी टीम ने अपलोड.......
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हमारीवाणी.कॉम
सुन्दर दार्शनिक कविता.
shuru se ant tak ka bhaavnaao ka safar acchha laga.
इसमें आपने अपनी पैनी निगाह ख़ूब दौड़ायी है। साधुवाद।
जय जोहार
वाह ! सुन्दर दार्शनिक कवितायेँ ..
Bahut sunder
बहुत ही विचारणीय लेख है, इस पर हमें गौर करने की जरूरत है
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