मोर राज के रहवइया जम्मो झन ल
राज भाषा दिवस के बधाई देवत
गाड़ा गाड़ा बधाई जी...
मान हिंदी के हवै जस मोर भाखा के घलो।
अमल मा एला तो लाये, बर उदिम अब कर घलो।।१।।
व्याकरण सँग पोठ एकर शब्द के भंडार हो।
पाठशाला मा पढ़ाये बर उदिम अब कर घलो।।२।।
आय गुरतुर मोर बोली प्रेम रस मा हे पगे।
लाज बोले मा हटाये बर उदिम अब कर घलो।।३।।
गुरु 'अरुण' के पा कृपाA हम छंद ला जाने हवन।
दायरा एकर बढ़ाये बर उदिम अब कर घलो।।४।।
'कांत' खाली गोठ नो है, आय भाखा पोठ जी।
पोठ एला अउ बनाये बर उदिम अब कर घलो।।५।।
हमर राज के गुरतुर भाखा
छत्तीसगढ़ी के राजभाखा घोषित होय के 12 साल पूरे के
खुशी मनावत आप मन ला राजभाषा दिवस के गाड़ा गाड़ा बधाई...जय जोहार...
सूर्यकान्त गुप्ता, 'कांत'
सिंधिया नगर दुर्ग(छ.घ.)