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सोमवार, 23 अगस्त 2010

निर्मल मन के निर्मल पांखी

रोगों से रक्षा करता है रक्षा सूत्र                 
कर्तव्यों की याद दिलाता है रक्षाबंधन
इस रक्षाबंधन दिन भर बंधेगी राखी
हम भी बंधे हैं मीठे बंधन से
सावन माह की पूर्णिमा को रक्षाबंधन (24 अगस्त) का पर्व मनाया जाता है। जन-जन में यह पर्व भाई-बहन के रिश्तों का अटूट बंधन और स्नेह का विशेष अवसर माना जाता है।
दरअसल रक्षाबंधन भारतीय धार्मिक परंपराओं में ऐसा पर्व है, जो न केवल भाई-बहन वरन हर सामाजिक संबंध को मजबूत करने की भावना से भरा है। इसलिए इस पर्व को मात्र भाई-बहन के संबंध से जोडऩा इसके महत्व को सीमाओं में बांधना है।
यह पर्व गहरे सांस्कृतिक, सामाजिक अर्थ लिए हुए हैं। इस त्यौहार के अर्थ को समझने के लिए रक्षा बंधन का मतलब जानना जरुरी है। प्रेम, स्नेह और संस्कृति की रक्षा का पर्व ही रक्षा बंधन है। यह एक-दूसरे की रक्षा के वचन का अवसर है। यह भावनाओं और संवेदनाओं का बंधन है। बंधन का भाव ही यह है कि एक को दूसरे से बांधना। ऐसा बंधन कोई भी किसी को भी बांध सकता है।
भाई-बहन के अलावा रक्षा सूत्र गुरु-शिष्य, भाई-भाई, बहन-बहन, मित्र, पति-पत्नी, माता-पिता-संतान, सास-बहू, ननद-भाभी और भाभी-देवर एक-दूसरे को बांध सकते हैं। क्योंकि बंधन का भाव ही यह होता है कि एक-दूसरे के लिए हमेशा प्यार, विश्वास और समर्पण रखना।
पुराण और इतिहास के अनेक प्रसंग साबित करते हैं कि पत्नी अपने पति की रक्षा के लिए रक्षासूत्र बांधती थी। लेकिन समय और परंपराओं में बदलाव के साथ यह भाई और बहन के संबंधों के अर्थ में ही प्रचलित हो गया।
रक्षा बंधन की बहुत बहुत शुभकामनाएं एवं बधाई
वास्तव में बंधन और नियम पालन से ही सभ्य समाज बनता है। इससे ही हर संस्कृति को सम्मान मिलता है। रक्षा बंधन भी अपनत्व और प्यार के बंधन से रिश्तों को मज़बूत करने का पर्व है। बंधन का यह तरीका ही भारतीय संस्कृति को दुनिया की अन्य संस्कृतियों से ऊपर और अलग पहचान देता है।
"येन बद्धो बलि: राजा दानवेन्द्रो महाबल:।तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥"
"जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबन्धन से मैं तुम्हें बांधता हूं जो तुम्हारी रक्षा करेगा।" इस पावन पर्व पर अपने गुरुजनों से विद्वानों से, ब्राह्मणों से, इस मन्त्र के साथ रक्षा सूत्र बंधवा उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है.
निर्मल मन के निर्मल पांखी
मानत हौ बहिनी के रिश्ता
दौ ओला अपन पावन आंखी
मन के बिस्वास ले बढ़ के नई ये कौनो
ये पवित्तर रिश्ता के साखी
इही भावना के संग मा संगी
बान्धौ अउ बंधवाऔ राखी
एक बार फेर ये तिहार के जम्मो झन ला गाड़ा गाड़ा बधाई
बड़े से बड़े आफत ले उबारे भगवान करावे झन काखरो से लड़ाई
जय जोहार........

9 टिप्‍पणियां:

arvind ने कहा…

रक्षा बंधन की बहुत बहुत शुभकामनाएं एवं बधाई

कडुवासच ने कहा…

... sundar post ... badhaai va shubhakaamanaayen !!!

समयचक्र ने कहा…

रक्षा बंधन की बहुत बहुत शुभकामनाएं एवं बधाई

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

वास्तव में बंधन और नियम पालन से ही सभ्य समाज बनता है। इससे ही हर संस्कृति को सम्मान मिलता है।

सटीक बात कही ....बहुत सार्थक पोस्ट ..

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

भैया अड़बड़ दिन मा देखेंव
तरस गे रहिस मोर आँखी
अउ तनि बिलम करते त
उड़ जातिस मोर परान पाँखी।


जय हो स्वागत हे

जोहार ले

36solutions ने कहा…

येन बद्धो बली राजा ..............

मनोज कुमार ने कहा…

रक्षा बंधंन की बधाई और शुभकामनाएं।

ASHOK BAJAJ ने कहा…

रक्षाबन्धन के पावन पर्व की हार्दिक बधाई एवम् शुभकामनाएँ

Mithilesh dubey ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना...
रक्षाबंधन पर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाये.....