नव-वर्ष में उगते सूरज की
सुनहरी रश्मियाँ
समाहित हो जन-मानस के
रग रग में
कर दे समूल नष्ट
शारीरिक व्याधियों को,
मानसिक विकृतियों को।
नव वर्ष के उगते सूरज की
सुनहरी रश्मियाँ
उखाड़ फ़ेंक दुनिया से
हर तरह के विकार
अत्याचार,दुराचार,व्यभिचार,
दो हजार बारह की तरह
हो न फिर से समूचा राष्ट्र शर्मसार
नव वर्ष की बहुत बहुत बधाइयों सहित
जय जोहार ......................................
उखाड़ फ़ेंक दुनिया से
हर तरह के विकार
अत्याचार,दुराचार,व्यभिचार,
दो हजार बारह की तरह
हो न फिर से समूचा राष्ट्र शर्मसार
नव वर्ष की बहुत बहुत बधाइयों सहित
जय जोहार ......................................