उमड़त घुमड़त विचार
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ललित डॉट कॉम
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शनिवार, 25 जुलाई 2015
फेसबुक तोर अद्भुत लीला
फेसबुक तोर अद्भुत लीला।
'पोस्ट' साल मा कतकोच लीला।।
एको ठन बने पोस्ट ला लील देथे ये थोथना पोथी हा तइसे लागथे...
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मंजिल सबकी एक है
परम पिता परमात्मा, संतान आपकी हम।
मंजिल सबकी एक है, पंथ मात्र का भ्रम।।
बंधुत्व विश्व की भावना, रखने कहता धर्म।
मानवता को साथ रख, करता जा तू कर्म।।
जय जोहार....
चंचल मन
चंचल मन
चंचल मन है दौड़ता, चाल पवन से तेज।
छोड़ें मन की दासता, सद्गुण रखें सहेज।।
वाणी पर काबू नही, यदि कर पाते आप।
काज सहज निपटे नही, होत शोक संताप ।।
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डिजिटल इंडिया
डिजिटल इंडिया राग मा रमे हवै सरकार।
नदिया नरवा मा घलो अब चलही सइकिल यार।।
जनता और मुखिया
जनता और मुखिया
जनता मुखिया भेजती, मंदिर संसद जान।
झगड़त स्वान बिलार सम, बिरथ जतावत शान।।
जय जोहार ....
सोमवार, 13 जुलाई 2015
होइस बिहान तंहा हम धरेन धियान ..
होइस बिहान तंहा हम धरेन धियान ..
आज अकास ल मूंदे बादर।
बिन बरसे झन जाबे बादर ।।
देव गनेस सुनौ जी अरजी।
समझावौ बादर ला सरजी।।
नाना किसम किसम जंजाला।
चर्चा चारों मुड़ा घोटाला।।
मरत जात छोटे आरोपी।
बड़का बइठे पहिरे टोपी।।
राजा संग परजा घलो, कहिथें स्वारथ साध।
बलि कतको चढ़ जात हें, किस्सा हवै अगाध।।
व्यापं अबै
व्यापमं व्यापकं व्यापं अबै,
कितनी लंबी है करतूतों की श्रृंखला।
फर्जीवाड़े में दुनिया क्या यूँ ही चलै,
काबिलों का कबाड़ा क्यूं करते भला।
क्यों न सोचते कभी हम हकीकत
यही,
'उसके' आगे किसी का गणित न चला।
जय जोहार...सुप्रभात्
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