मित्रों ब्लागर बैठकी भिलाई की कुछ यादों को तुकबंदी के माध्यम से आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ.
संजीवन ललित तव प्रेरणा लिखे पोस्ट उनचास
उर्जा बिच बिच भरत रह्यो भाई ललित शरद कोकास
ब्लॉगर बैठकी बुलाई के जगा गयो मन में आस
चलती रहेगी लिखनी भले कर न पाए कुछ ख़ास
हुई बैठकी एक दिन, थी तारीख छः दिसम्बर
जगह थी भाई शरद यहाँ ड्राइंग रूम के अंदर
दोपहर बारह बजे का समय था,हुआ चाय नाश्ता पानी
मिले बबला पाबला ललित संजीव शरद अउ ग्वालानी
फिर हुआ फोटो सेसन और घुसे कंप्यूटर कक्ष
कंप्यूटर प्रचालन में भिड गए कंप्यूटर दक्ष
ललित भाई का पेन ड्राइव कंप्यूटर में थे डाल रहे
खुल न पाया यह पूंगा यह सोच के सब बेहाल रहे
इतना ही नहीं कंप्यूटर को ले डूबा ललित भाई का पूंगा
ठान लिया शरद भाई ने किसी को कंप्यूटर छूने न दूंगा
किसी का तकनीकी परामर्श भी इसके काम न आया
भूख लगी कहने लगे ब्लॉगर,अब वक्त करें न जाया
सब पहुच गए हम होटल नाम है जिसका फोर सीजंस
वहां आ जा रहे थे सभी,लगातार देखे मेंस एंड वीमन्स
रेस्तरां में ही भेंट हुई जिनसे वे थे अइयर साहब
भोजन भी था चल रहा बातें हो रही थीं नायाब
भोजन सम्पन्न हो गया, हुआ वक्त समापन का
इन्तेजार था अनिल पुसदकर जी के आगमन का
प्रतीक्षा की घड़ियाँ ख़तम हुई अनिल भाई जी आये
मालवीय नगर चौराहे पे मिल हम सब फोटो खिचवाये
आप सभी के संग जुड़ गया, सूर्यकांत एक नाम
ऐसा अनुभव हुआ इसे जैसे हो लिए चारों धाम
यह दिल से निकली हुई बात है
4 टिप्पणियां:
जोर दार केहे ह्स गुप्ता जी
बसंत पंचमी की शुभकामनाएं
अऊ गाड़ा गाड़ा बधई
कव्यात्मक प्रस्तुति अच्छी लगी।
यह दिल से निकली हुई बात है
कुछ के लिये खुशी कुछ के लिये आघात है
सुन्दर बात. धन्यवाद भाई साहब.
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