कभी कभार मुझे लिखने के लिए कुछ सूझता नहीं. फिर मन में विचार आता है आज पढ़ा जाय सबका ब्लॉग. बहुत अच्छे अच्छे लेख, समाचार पढने को मिलते हैं. पर बीच बीच में कुछ ऐसी बातें पढने को मिल जाती हैं जिसे पढने से ऐसा लगता है कि लोग कभी कभी "एको अहम् द्वितियो नास्ति" की धारणा के साथ चलने लगते हैं. भाई आप इस ब्लॉग लेखन की दुनिया में काफी सीनिअर हैं, ज्ञान के मामले में भी एक तरह से काफी आगे हैं , अच्छी बात है. किन्तु ये टिपण्णी के पिपासु ऐसे कौन ज्यादा नज़र आ गये. किसने आपको कह दिया कि आप टिपण्णी नहीं करते. कौन प्रेस्राइज़ कर रहा है टिपण्णी करने को? और क्या बुराई है अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने में, प्रत्येक लेख सर्वथा अच्छी टिपण्णी के लायक हो भी नहीं सकता किन्तु यदि किसी में कुछ कर गुजरने की काबिलियत की झलक दिखाई पड़ती है तो उसके लेख में मार्गदर्शक टिपण्णी क्यों नहीं की जा सकती ? दर असल मैं इस बाबत पहली बार किसी के विचार नहीं पढ़ रहा हूँ. एक दो बार और पढ़ चुका हूँ. ऐसा लगने लगा कि सभी यही सोचने लगे हैं "ब्लॉग लेखन केवल हम जानी" क्योंकि आज " जित देखूं तित खींचा तानी " का माहौल नजर आता है. कभी कोई कहता है अब ब्लॉग से विदा ले रहा हूँ. मुझसे रहा नहीं गया तुरंत विचार घुमड़ने लगा. लगने लगा यह ब्लॉग की दुनिया भी छद्म प्रशंसा भले हो प्रशंसा बटोरने में ही अपनी उपलब्धि मानने लगी है. चलिए ठीक है भाई सभी स्वतंत्र हैं आपने विचार प्रकट करने को. देखिये न मुझसे ही रहा न गया. माफ़ करिएगा यदि कहीं ..........ज्यादा बोल गया हूँ तो ......
जय जोहार, शुभ रात्रि
6 टिप्पणियां:
जोहार ले भैया। बने उमड़िस घुमड़िस। अइसने होना चाही,अपन ला गोठिया ले तहां ओपार मुड़ ला पटकन दे। इही बुलागिंग ताय्। अब तहुँ जान डारे अउ सिनियर होगेस्।
जय जोहार!!
अच्छा किया मन की कह ली. :)
... बने लिखे हस भाई, मन के गोठ ल बोले म भलई हवे!!!
बेबाकी तथा साफगोई का बयान
सही कहा आपने....अब तो रोज रोज ये सब देख/पढ कर ब्लागिंग से मोह भंग होने लगा है.
अब बोल ही दिया तो देख लेंगे ..( झन चिंता कर भाई )
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