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रविवार, 4 सितंबर 2016

दौलत

दौलत

चाह दौलत की हमें भरपूर है
राह कैसी भी रहे मंज़ूर है
ग़म नहीं हक दूसरों का छिन रहा
आज तो इंसानियत मज़बूर है

जय जोहार……

सूर्यकांत गुप्ता..
सिंधिया नगर दुर्ग(छ्त्तीसगढ़)