बियंजन = पकवान
नाव = नाम
माढे रथे = रखा रहता है
काला खांव = किसको खाऊं
काला बचांव = किसको बचाऊं
सुरता = याद
गवैंहा = देहाती
सुरता आगे = याद आ गया
परकार = प्रकार
ओमा ले = उसमे से
जिनिस = चीज
पूछथे = पूछता है
गोठियाथे = बताता है या कहता है
उही = वही
दू तीन पईत = दो तीन बार
भेजा माँ नई घुसरै = समझ में नहीं आता या भेजे में नई घुसता.
दिमाग चढ़ जाथे = जोश में आ जाना आवेग में आ जाना या कहें दिमाग गरम हो जाना
काय करत हौं = क्या कर रहा हूँ
अतेक जुवार होगे = इतनी देर हो गयी.
हलवाई अब काय बोलै = हलवाई अब क्या बोले
मित्रों अब हमारी ये मीठी बोली (गुरतुर गोठ) समझ में आ ही जावेगी.
जय जोहार.......
8 टिप्पणियां:
वाह आज तो बने लिखे हस गुप्ता जी
अउ हिंदी अर्थ घला करे हस्।
कौनो भाषा के प्रचार प्रसार बर
येहां जरुरी होथे कि पाठक मरम ला समझे।
जोहार ले
हाहो। अभिच्चे तनेजा जी के टिप्पणी मिलिस ओमा ओखर उत्तर मा तोर जिक्कर करे हौ अउ ओला बलाये घलो हौ अपन छत्तीसगढ मा आये बर
बहुत सुंदर
ललित भाई और गुप्ता जी यह बोली बेहद मीठी है कभी आपके साथ बैठना हुआ तो जरूर सिखा दीजियेगा !
जैसा कि आप कहते है ................
जय जोहार........
मजा आया भाषा पढ़कर.
नई जानकारियों से अवगत हुआ।
.... बने बने गा ... जोहार!!!
आपमन के स्वागत हे, जोहार ले भाई
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