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बुधवार, 2 जून 2010

"धरती पर रहें ज्यादा उछल कूद ठीक नहीं"

बुद्धू बक्सा जिसे कहा जाता है, हम भी कभी कभी चाव से समाचार चेनल, हास्य धारावाहिक दिखाया जाने वाला सब चेनल, गीत संगीत का कार्यक्रम देखते हैं. कल इंडियन आइडल में यह कार्यक्रम चल रहा था. प्रत्येक प्रतिभागी  अपनी प्रतिभा से कार्यक्रम की शोभा बढ़ा  रहे थे. राजस्थान के किसी गाँव से आया युवक भी इसमें जमा हुआ है. कल उसके द्वारा पंकज उधास (कृपया यदि वे अपना उपनाम 'उदास' लिखते हों तो 'उदास' समझा जावे) जी का गजल "चिट्ठी आई है" कुछ राजस्थानी लहजे में गाया गया. हमें भी सुर ताल का ज्ञान न होने के बावजूद थोड़ा फीका लगा. पर एक बात जो हमारे दिल में घर कर गई वह यह कि निर्णायक  मंडल में बैठे अनु मलिक जी ने फटकार लगाते हुए उसे कहा "गाँव से इस स्तर तक पहुँच कर तुम अपनी लगन भूल चुके हो अपने आपको राजा समझने लगे हो" चाहे अपना समझकर क्यों न कहा गया हो, इससे प्रतिभागी के मन में क्या लगा होगा? हम भी इसीलिए सोचते हैं कि भैया "धरती पर रहें ज्यादा उछल कूद ठीक नहीं". थोड़ा विनोदी स्वभाव के होने के कारण कुछ फिसल जाते होंगे तो उसके लिए अपना खेद प्रकट करते हैं.............जय जोहार...  

4 टिप्‍पणियां:

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

हम भी इसीलिए सोचते हैं कि भैया "धरती पर रहें ज्यादा उछल कूद ठीक नहीं".


धरती छोड़ने वाला व्यक्ति धरती से ही उठ जाता है
इसलिए जान लेना चाहिए कि धरती पर रहना कितना जरुरी है जीवन के लिए

बने केहेस गुप्ता जी
आभार

दिलीप ने कहा…

sahi hai sir...jameen se juda rehna bahut jaruri hai varna ek din jameen bhi paanv nahi rakhne deti khisak jaati hai...jay johar

arvind ने कहा…

sahi kahaa aapne dharati par rahen jyaadaa uchhal kud theek nahi.

कडुवासच ने कहा…

...अब क्या कहें .... सब कुछ तो आपने ही अभिव्यक्त कर दिया है ... जोहार !!!