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शुक्रवार, 11 जून 2010

खोटे सिक्के क्यों चलाता है











स्वतन्त्र देश में 
लागू होता है हम पर
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार 
चलती है लेखनी हमारी 
जिसमे होती नही धार
आता नहीं है हमें किसी से लेना उधार 
प्रतिबिम्ब हमारा कहता है हमसे 
मालूम है तुझे सिर्फ "नकद" में 
विश्वास करना आता है 
पर खोटे सिक्के क्यों चलाता है 
जमा कर दे इन्हें टकसाल में 
गलने दे, नए सिक्के बन के निकलने दे 
खनकने दे ब्लॉग जगत में 
देखते रह जायेंगे, तू अपना सिक्का 
कैसे जमाता है. 
वस्तुतः यह मन में उद्वेलित होते विचार हैं.  साहित्य की पुस्तकें, कवितायें उपन्यास आदि पढने का विशेष  शौक नहीं है या कहूं उतना समय नहीं दे पाता. अंग्रेजी में जिसे वोकबुलारी कहते हैं याने शब्दों का खजाना और फिर उसे सजाना यह उस स्तर तक, मुझे लगता है, पहुँच नही पाया है. इसीलिए मैंने सिक्कों और टकसाल का प्रयोग लेख और बड़े बड़े साहित्यकारों की रचनाओं का हिंदी व्याकरण सहित स्वतः  के   गहन अध्ययन के लिए किया है. इस जगत में आकर मुझे इसे और सजाने की प्रेरणा मिलते रहती है. यह पोस्ट मैंने अपने ऊपर लिखा है. कोई इसे अन्यथा ना लें.   अंत में आप सभी के आशीर्वाद की कामना के साथ 
जय जोहार...........

8 टिप्‍पणियां:

दिलीप ने कहा…

badhiya sirji jay johaar...aaj kal maon bhi khoob padhne me laga hun...bismil ki aatmkatha padh raha hun...

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बढ़िया लिखा भाई जी !
जय जोहार...........

Udan Tashtari ने कहा…

शुभकामनाएँ..जय जोहार......

36solutions ने कहा…

बड़े भाई हिन्‍दी ब्‍लॉगजगत में दोनों तरह के सिक्‍के चलते हैं, खरे सिक्‍के भी तो खोटे सिक्‍के भी. यहां पढ़ने के लिए स्‍तरीय सामाग्री भी है और नियमित रूप से पोस्‍ट होते, हॉट साट होते समयखाउ अधिकतम घुरूवा पोस्‍टें भी हैं.

नियमितता की वजह से पोस्‍टों की गुणवत्‍ता प्रभावित हुई है, पोस्‍ट ठेलना आवश्‍यक है, बिना ठेले सांसें रूक जायेगी यह सोंचकर मेरे जैसा ब्‍लॉगर घटिया सामाग्री पोस्‍ट करता हैं और सबसे बड़ी बात पोस्‍ट टिप्‍पणी पाने की लालसा के साथ पोस्‍ट करता है, ना कि जानकारी परोसने के लिए. क्‍या करोगे मन नहीं मानता.

वैसे एक मुहावरा आपने भी सुना होगा कि खोटा सिक्‍का अच्‍छे सिक्‍के को चलन से बाहर कर देता है. इसीलिये नेता लोग सदैव शार्टकट, जोड़तोड, लब्‍बोलुआब का रास्‍ता अपनाते हैं. पर खरा तो खरा है और उसी पे भरोसा रखें.

कडुवासच ने कहा…

सूर्यकांत जी
बेहद प्रसंशनीय प्रस्तुति,
बधाई,
आचार्य उदय

निर्मला कपिला ने कहा…

ये सिक्का असली लगा बहुत बहुत शुभकामनायें

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

खोटा सिक्का ही मुसीबत के वक्त काम आता है।

ऐसी भी एक कहावत हैं।

आभार

आपकी चर्चा यहां भी है

शरद कोकास ने कहा…

खोटे सिक्के फिल्म देखी थी ?