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शनिवार, 5 जून 2010

"ॐ हं हनुमते नमः "


"ॐ हं हनुमते नमः "
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर श्री रामचरित मानस के पंचम सोपान "सुन्दरकाण्ड" के छंद क्रमांक २ की पहली पंक्ति "बन बाग़ उपबन बाटिका, सर कूप बापीं सोहही  "दशानन" की लंका का दृश्य है.  वीर हनुमान ने लंका प्रवेश करते समय पर्वत पर चढ़कर यह दृश्य देखा था.  बन, बाग़, उपवन(बगीचे), फुलवारी, तालाब, कुएं और बावलियां सुशोभित हैं. तात्पर्य पर्यावरण की रक्षा की आवश्यकता व अनिवार्यता आज की ही आवश्यकता नहीं है.   
jay johaar...............   


    9 टिप्‍पणियां:

    पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

    "बन बाग़ उपबन बाटिका, सर कूप बापीं सोहही "दशानन" की लंका का दृश्य है. वीर हनुमान ने लंका प्रवेश करते समय पर्वत पर चढ़कर यह दृश्य देखा था. बन, बाग़, उपवन(बगीचे), फुलवारी, तालाब, कुएं और बावलियां सुशोभित हैं. तात्पर्य पर्यावरण की रक्षा की आवश्यकता व अनिवार्यता आज की ही आवश्यकता नहीं है.

    Badhiya Suryakant ji

    माधव( Madhav) ने कहा…

    nice

    पापा जी ने कहा…
    इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
    शिवम् मिश्रा ने कहा…

    बहुत खूब |

    परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

    सही लिखा। बढिया पोस्ट।

    कडुवासच ने कहा…

    ....जय श्रीराम !!!

    shyam gupta ने कहा…

    बहुत सुन्दर , हां पापा जी का ध्यान रखना.

    अरुणेश मिश्र ने कहा…

    उपयोगी और प्रेरक ।

    आचार्य उदय ने कहा…

    आईये जानें .... मन क्या है!

    आचार्य जी