रविवार अवकाश, काश बीता होता छुट्टी जैसे
लिख ना पाए पोस्ट एक भी, यह हो सकता था कैसे
फुर्सत पाए, पर फ़ुरसतिया न कहाए
बैठ गए अब बन निशाचर,
झांके हैं चंद पोस्ट, ब्लॉगर मित्रों के
ले दे के ये चार लाईना हमहू लिख पाए
लिख़ा गया है कुत्ता पुरान फिर
हमसे चुप न रहा गया
नम्र निवेदन करते हुए, बंद करने यह सब
टिपण्णी के रूप में कहा गया
मत करिए तुलना पशु पक्षियों से, अरे ये मानव से महान हैं
इनका स्वभाव इनकी प्रकृति है निश्चित
हम मानस परखे बिन जाने कैसे, भले मानुस या शैतान है
कुत्ता, जिसे स्वान भी कहा गया है इसकी महत्ता देखिये; (जानते सभी हैं)
"काक चेष्टा बको ध्यानं स्वान निद्रा तथैव च
अल्पहारी गृहत्त्यागी विद्यार्थिम पञ्च लक्षणं "
अर्थात विद्यार्थी वही होता है कौवे के समान चेष्टा करता है, बगुले के समान जिसका ध्यान हो याने कंसंट्रेशन, कुत्ते के समान जो नींद सोता हो तात्पर्य सतर्क होकर सोना खटक की आवाज में भी नींद खुल जाए, सुपाच्य व कम भोजन करे जिससे अध्ययन में भारीपन न लगे और घर गृहस्थी में रमने वाला न हो घर का त्याग करे. अब इसमें कौवा, बगुला, और कुत्ता तीनो पक्षियों/पशु का उदाहरण दिया गया है. ऐसा नहीं है कि मैंने कोई नई बात लिख दी हो. सभी जानते हैं.
जय जोहार...............
3 टिप्पणियां:
उचित सलाह है आपकी..
जय हो |
मत करिए तुलना पशु पक्षियों से, अरे ये मानव से महान हैं इनका स्वभाव इनकी प्रकृति है निश्चित।
लाख टके की बात कही है आपने ठोक ठठा के
आपकी इन्ही बातों के तो हम कायल है।
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