स्वतन्त्र भारत के सपूतों को
एशो आराम की जिन्दगी बिताने में ही मिलता है सुकून
एशो आराम की जिन्दगी बिताने में ही मिलता है सुकून
डॉक्टर आलोक कुमार रस्तोगी जी द्वारा लिखी पुस्तक क्रान्ति नायक पढ़ रहा था. इस पुस्तक में शहीद क्रांतिकारी नायकों के जीवन पर आधारित एकांकी संकलन है. क्या जूनून था माँ भारती को अंग्रेजों की गुलामी की बेड़ियों से आजाद कराने का. क्रांतिकारियों के करतब, उनके साथ अंग्रेजों के व्यवहार, उद्देश्य की पूर्ति हेतु अर्थात अपने देश को आजाद करने जिद्द पर अड़े रहने क्रूर अंग्रेजों के मार सहते सहते प्राणों की आहुति देने का मार्मिक चित्रण है. जिन क्रांतिकारियों के बारे में लिख़ा गया है उनके नाम हैं; लाला हरदयाल, रासबिहारी बोस, ठाकुर केसरी सिंह, करतार सिंह सराबा, पंडित परमानंद, वीर तात्या टोपे, असफाक उल्ला खां, बंता सिंह, सुखदेव, दामोदर चाफेकर, गोविन्दराम वर्मा, बिरसा मुंडा, बाबा पृथ्वीसिंह आजाद, वीरेन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय, सरदार अजीत सिंह, अमृतलाल, बाघा जतिन, मदन लाल धींगरा, शचीन्द्रनाथ सान्याल, रानी गान्दयु, बिशमसिंह कूका, बन्दा बैरागी और उधमसिंह. इनके बारे में एकांकी के रूप में वर्णन कर सटीक जानकारी प्रस्तुत की गई है. प्रस्तुत है वीर क्रांतिकारी करतार सिंह सराबा के क्रांतिकारी विचारों का प्रहसन के रूप में प्रस्तुतीकरण;
पता नही, करतार सिंह जी का यदि पुनर्जन्म हुआ होगा तो आजाद भारत के बारे में क्या सोच रहे होंगे.
जय जोहार........
करतार सिंह
(घर का दृश्य)
(एक किशोर चारपाई पर बैठा है. गृह स्वामी सरदार जी घर में प्रवेश करते हैं.)
- सरदार जी:- ओए, करतारा की गल है. तुसी घर में घुसा बैठा है.
- करतार सिंह:- आज मेनू कुछ अच्छा नहीं लगदा है.
- सरदारजी:- क्यों किसी नाल कोई झगड़ा कीत्ता है?
- करतार सिंह:- (अपना बदन दिखते हुए) साडे नाल कौन झगड़ सकता है?
- सरदार जी: तो फिर गल की है, दसौ मैनू. कोई स्पेशल डिमांड है. कुड़माई करनी है, कोई कुड़ी पसंद आ गयी.
- करतार सिंह:- नहीं चाचे. मैनु कोई कुड़माई नहीं करनी है, पर मेरा मन यहाँ पढ़ने को नहीं करदा. मैं इत्थों नहीं पढ़ना चाहता.
- सरदारजी:- ओए, पुत्तर पढ़न वास्ते पंजाब तो उडीसा आया, पढ़ेगा नही तो की करेगा?
- करतार सिंह: मैं पढ़ने वास्ते अमेरिका जाना चाहता हूँ. तुसी मैनू अमेरिका जान वास्ते पैसे दे दो.
- सरदार जी :- मैं ऐवें किंवे सकदा हूँ. पापा कोनो इजाजत लेनी पयगी.
- करतारसिंह:- मैं कुछ नही जांदा, तुसी मेरे प्यारे चाचा हो, त्वानू ही सारा बंदोबस्त करना पायगा, चाहे बाबा नाल गल करो या नहीं करो.
- चाचा:- पुत्तर. तू साडे खानदान दा चिराग है, सारे वीरान हो जावांगे मर्सी अपील नु साइन कर दे. फांसी तो बच जाएंगा. तेरे सहारे जिन्दगी साडी वी कट जावेगी.
- करतार सिंह:- चाचे, पापाजी कित्थे ने.
- चाचा:- ओए पुत्तर ओ तेरे जनम के इक साल बाद ही रब नू प्यारे हो गए.
- करतार सिंह:- चाचे साडे मामे कित्थे ने.
- चाचा:- ओए तेनू नई पता, वे तो प्लेग नाल चल बसे.
- करतार सिंह:- चाचे, निक्की कित्थे?
- चाचा:- (चाचा की आँखों में आंसू आ गए.) मेरी प्यारी कुड़ी तो हैजे नाल चल बसी.
पता नही, करतार सिंह जी का यदि पुनर्जन्म हुआ होगा तो आजाद भारत के बारे में क्या सोच रहे होंगे.
जय जोहार........
4 टिप्पणियां:
yahi junoon to tha jisse angrej dar ke bhaage the...varna ahinsa se kya mila bas laathiyan aur gaaliyan...jay johaar...aur jay kartaar
... प्रभावशाली व प्रसंशनीय पोस्ट!!!
ऐसी देशभक्ति से भरी पोस्ट को समय से नहीं पढ़ा.. माफ़ कीजिएगा..
सही है मरना हो तो ऐसे ही मरना है
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