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रविवार, 13 जून 2010

अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे

अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे
हमें क्या मालूम था, लोगों के
आशीर्वाद मिल रहते थे वे थे
सब "छद्म" और थे हम आँख मीचे
अब न रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी
"घुरुवा" हट जाएगा हम तो लेते हैं
विदा इस ब्लॉग की  दुनिया से,
मित्रों को देते हुए शुभकामनाएं
पल्लवित, पुष्पित इस बगिया को
सुविचारों से हमेशा की तरह  सींचें.
अब एहसास हुआ कि "किस दुनिया में खोये थे हम" जिन्हें भी, समझिये पहली बार हमसे हुई गलती के  कारण ठेस पहुंची हो,  क्षमा चाहते हैं. वैसे हमारा ऐसा उद्देश्य नही था ठेस पहुंचाने का. 

  जय जोहार ........... अलविदा दोस्तों.

14 टिप्‍पणियां:

दिलीप ने कहा…

are sir kahan chal diye...abhi na jaao chhod kar....:(

1st choice ने कहा…

अंकल अंकल आप कहां जा रहे हो
आप भी चलो न आज स्वीमिंग करने
ब्लाग बाबू राजा बाबू है
आप की बात मानेगा।

शिवम् मिश्रा ने कहा…

क्या हो गया, भाई जी ?? कुछ हम को भी तो पता चले !

कडुवासच ने कहा…

... क्या हो गया भाई जी ... कौन आपसे पंगा ले रहा है ... उसको रहना है कि नहीं ...!!!

कडुवासच ने कहा…

एक स्पेशल पोस्ट http://kaduvasach.blogspot.com/2010/06/blog-post_13.html
तत्काल पहुंचें !!!

36solutions ने कहा…

गलती नहीं है यह तरीका है, ट्रिक है घुरूवा पोस्‍टों को उपर चढ़ाने का और अच्‍छे पोस्‍टों का मिट्टीपलीद करने का. जिस पोस्‍ट को आप चाहते थे कि पाठक पढें उसे नहीं पढ़ा गया बल्कि शिकायती पोस्‍ट को मित्रों नें उपर चढ़ा दिया. इसमें टंकी पर चढने की कोई आवश्‍यकता नहीं है भईया. ना ही मैंने इस संबंध में पोस्‍ट लगाकर कोई गलती की है.
हॉं आपको इस सामान्‍य से सत्‍य को आम करने से दिल में कोई चोट पहुची हो तो मैं माफी चाहता हूं.

समयचक्र ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
समयचक्र ने कहा…

पहली टीप काट दी है ..ब्लागिंग में बने रहें.भाई सब हिल मिलकर रहें की कामना के साथ..

शरद कोकास ने कहा…

अगर यह रचना है तो अच्छी रचना है ।

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

संजीव हां अपन गोठ ला क्लियर कर दे हे
टंकी ला काली नगर निगम के स्वीपर मन तोड़ दिस
मै अड़बड़ मना करेंव बिहनिया तक ले रहान देव भाई, हांथ पांव घला जोरेवं, फ़ेर नई मानिस बुजा मन हां
दिल उपर लेय के कोई जरुरत नई हे
जरुरत हे खग के भाषा ला समझे के

जोहार ले
अउ संजीव डहार ले महुं माफ़ी मांगत हंव
क्षमा बड़न को चाहिए
छोटन को उत्पात
अब उत्पात शुल्क ला लागु कर दे
अउ नोटिस ला भेज दे
एक ठीक पोस्ट लगा के

एक पैइत फ़ेर
जय जोहार

कडुवासच ने कहा…

... डी.लिट. ला केंसिल कर लेबे भाई ... अब ओखर जरुरत नई हबय ... एक नवा नवा पोस्ट ढेल दे गा सिआन ... काबर ते हा टंकी-पंकी के सुरता करथस गा ... अऊ वो ला देख लेबो जैन ह तोला भडकाईस हबै ...!!!!

sandhyagupta ने कहा…

? ? ? ?

उम्मतें ने कहा…

तो एग्रीगेटर्स पर बात थी ! गुप्ता जी आप कृपया ब्लागिंग करते रहे !

arvind ने कहा…

.are sir abhi chhod kar kahan chal diye......naarajgi hai to maidan chhodna koun si bahaaduri hai. ashaa hai punarvichar kar fir se blogjagat ki shobhaa badhaayenge.