(1)
'ब्लॉगवाणी' विलुप्त हुई, लग नही रहा, हरा भरा सा
आज कलम(मेरी कलम) कुंठित हुई ,
लिख न पा रहा, जरा सा.
(2 )
ड्राइंग रूम में बैठ कर देखने लगा दूर दर्शन
कार्यक्रम चल रहा था जिसमे बच्चों का नृत्य प्रदर्शन
नृत्य कर रहे थे झूम के, ये छोटे छोटे बच्चे
विषय 'विषय' था लग रहा, वयस्क भी खा जाएँ गच्चे.
(3 )
युग प्रभाव जो दिख रहा, कम होगा कुछ भी कहना
चलेगी जिन्दगी यूँ ही, दें इसे चलते रहना
(4)
चेनल बदले, एन० डी० टी० वी० दिखा, चल रही थी जनता की अदालत
मुवक्किल थे बाबा रामदेव, दृढ प्रतिज्ञ दिखे परिवर्तन लाने को,
योग-निरोग, अध्यात्म, सत्कर्म समझा रहे थे सवालों के बदौलत
दोनों कार्यक्रम देखकर, कौंधने लगा मन में विचार
क्या सचमुच सच कर पायेंगे, प्रतिज्ञा इनकी साकार
अर्ध रात्रि जो बीत चुकी, जायेंगे निद्रा देवी की शरण में
कहते हुए आप सभी को .......जय जोहार.
17 टिप्पणियां:
हम भी सो ही जाते हैं..दोपहर वाला..जय जोहार!
...bahut khoob !!!
अपना भी ब्लागवाणी के बिना यही हाल है। मगर ब्लागवाणी ऐसी कि वनवास खत्म ही नही हो रहा। अच्छी लगी रचना, आभार।
बेहतरीन
जय जोहार!
सटीक लिखा है...
सुन्दर विचार है।
बिल्कुल सही कहा।
परेशान होना बंद कीजिये, जल्द ही आ रही है हमारीवाणी.
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'ब्लॉगवाणी' विलुप्त हुई, लग नही रहा, हरा भरा सा
आज कलम(मेरी कलम) कुंठित हुई ,
लिख न पा रहा, जरा सा.
आपसे सहमत!
yeh blogvaani kyaa he kyaa iskaa sbke liyen smaan vyvhaar he. akhtar khan akela kota rajsthan
ब्लॉगवाणी' विलुप्त हुई, लग नही रहा, हरा भरा सा
आज कलम(मेरी कलम) कुंठित हुई ,
लिख न पा रहा, जरा सा.
hamein to aaj hi pta chla ....behad afsos janak ....kisi ka bhi jana bura to lagta hi hai .....!!
सच कहा आपने ............जय जोहार
वाह्! क्या खूब कविता रची है.....
सचमुच ब्लागवाणी के बिना तो ब्लागिंग एकदम से नीरस हो चुकी है.
नाईस
nice
अच्छा है ।
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