(१)
हे परमेश्वर! मृत्युलोक की अद्भुत हैं लीलाएं
किस किस को कोई याद रखे, किस किस को भूलते जाएँ
मौत कहर बरपाती है किस कदर पेश है एक नमूना
बिजली के करंट ने छीनी तीन जिन्दगी, कर दिया घर आँगन- सूना
(आज समाचार पत्र में प्रकाशित पार्षद समेत परिवार के तीन सदस्यों द्वारा बिजली के तार छू जाने से हुई मौत पर लिखी गई). ठीक इसके विपरीत;
(२)
पच्चीस फुट उंचाई से गिरकर, कोई बच जाता है जिन्दा
खोपड़ी फूटी, जबड़ा टूटा, एक आँख की गई रौशनी
सुना रहा है आप बीती लन्दन का एक बंदा
(यह भी दैनिक भास्कर के पृष्ठ १२ में छपी खबर "हादसे के बाद वह आधी खोपड़ी के साथ जिन्दा है पर आधारित)
और इस पर भी गौर फरमाएं
(३)
सबके होते हैं अपने अपने काम धंधे
क्या बता सकते हैं कौन होते हैं आँख वाले अंधे ?
हम ही हैं वो, जो पूछते हैं उस व्यक्ति से ," क्या कर रहे हो?"
यह देखकर भी कि वह किस कदर अपने काम से है बंधे
//जय जोहार.....//
हम ही हैं वो, जो पूछते हैं उस व्यक्ति से ," क्या कर रहे हो?"
यह देखकर भी कि वह किस कदर अपने काम से है बंधे
//जय जोहार.....//
7 टिप्पणियां:
जय जोहार.
यही तो खेला है जिन्दगी का..जय जोहार!
...सूर्यकांत भाई ला सुबह के राम राम ... जय जोहार!!!
सुन्दर लेखन।
सुन्दर लेखन। हम ही हैं वो, जो पूछते हैं उस व्यक्ति से ," क्या कर रहे हो?"
यह देखकर भी कि वह किस कदर अपने काम से है बंधे
//जय जोहार.....//
आपके अंदर आध्यात्मिक विचारधारा का प्रवाह है यदि आप मानवता व मानव धर्म आधारित आध्यात्मिक लेख अथवा विचार प्रेषित करें तो अवश्य ही आचार्य जी ब्लाग पर प्रकाशित किये जायेंगे, आपके विचार अधिक से अधिक लोग पढें व मनन करें यही उद्देश्य है, धन्यवाद।
जय गुरुदेव
अच्छे विचार उमड- रहे है भाई
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