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बुधवार, 2 जून 2010

धडाधड महराज चिट्ठा जगत

अभी कुछ सूझ नहीं रहा है, सोचा एक बार फिर ब्लॉग में प्रयुक्त होने वाले शब्दों की ओर चलूँ. ध्यान गया ब्लॉगवाणी  के नीचे लिख़ा "धडाधड महराज चिट्ठा जगत" चलिए देखते हैं इस पर क्या लिखते बनता है;
धडाधड महराज चिट्ठा जगत
दोस्तों ये ब्लॉग की दुनिया है 
खोल लीजिये खाता
ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते नहीं 
ले लीजिये अन लिमिटेड डाउन लोड वाली स्कीम 
लिखते जाइए, जो जी में आये फ़क़त 
लेकिन ध्यान रहे, और करें श्री बी. एस. पाबला जी की 



बहुत ज़हर उगल लिया लेकिन क्या अब कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार हैं "


 पे गौर 
यदि नहीं किये गौर तो पता नहीं कहाँ हो सकती है आपकी ठौर 

जय जोहार......

7 टिप्‍पणियां:

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बहुत खूब......... सटीक राय दी आपने !

दिलीप ने कहा…

ha ha jay johar...

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

ले होवन दे फ़ेर धड़ाधड़ महाराज
देख खुल जाही एंखर जम्मो राज

बन जाही डार के चुके बेंदरा
अऊ निपोरही दांत
जय धड़ाधड़ महाराज

जोहार ले दाऊ
परन दिन तो लम्बर हे। धड़ाधड़ के

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

परन दिन तोर लम्बर हे,धड़ाधड़ के।

आचार्य उदय ने कहा…

आईये जाने .... प्रतिभाएं ही ईश्वर हैं !

आचार्य जी

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

हम तो इसी लिए गुटनिरपेक्षता की निति पर चल रहे है शुरू से !

Udan Tashtari ने कहा…

पाबला जी की पोस्ट को ध्यान में रखते हुए जुटे हैं.. :)